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3 years ago .New Delhi, Delhi, India

फफड़ों के लिए खतरनाक है कोरोना का नया डेल्टा प्लस वेरिएंट, जानें कैसे करता है हमला

  • डेल्टा प्लस वेरिएंट फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर पर बाकी वेरिएंट की तुलना में ज्यादा तेजी से चिपकता है.
  • यह फेफड़ों की म्यूकस लाइनिंग के साथ जल्दी कनेक्ट (connect) हो जाता है.
  • वैक्सीन की एक या दो डोज वाले लोगों में इस नए वेरिएंट से संक्रमण का खतरा कम है.

Written by:Madhav
Published: June 29, 2021 02:22:51 New Delhi, Delhi, India

भारत में कुछ ही दिनों पहले सभी राज्यों में अनलॉक की प्रकिया शुरू हुई है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद जब मामले धीरे-धीरे कम होने लगे तो सरकारें आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन में उचित ढील दे रही हैं.
लेकिन क्या यह ढील ज्यादा दिनों तक लोगों को मिल सकेगी? भारत में बढ़ती तीसरी
लहर की आशंकाओं के बाद यह सवाल सभी लोगों के मन में उठने लगे हैं. दरअसल, भारत में
आई दूसरी लहर के लिए कोरोना का डेल्टा वेरिएंट जिम्मेदार था, जिसने भारत में भयावह
स्थिति पैदा कर दी थी.

एक्सपर्ट की मानें तो भारत में आने वाली तीसरी लहर के लिए डेल्टा
प्लस वेरिएंट जिम्मेदार होगा जिसके मामले भारत के कई राज्यों में सामने आने भी लगे
हैं. आइए जानते हैं कि कोरोना का यह डेल्टा प्लस वेरिएंट आपके फेफड़ों को किस तरह और कितना प्रभावित कर सकता है?

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फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर पर अधिक तेजी से चिपकेगा यह वेरिएंट

आज तक को दिए एक इंटरव्यू में नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन इन
इंडिया (NTAGI) के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया, “यह वेरिएंट
फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर पर बाकी वेरिएंट की तुलना में ज्यादा तेजी से
चिपकता है. यह फेफड़ों की म्यूकस लाइनिंग के साथ जल्दी कनेक्ट (connect) हो जाता है. लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इससे
बीमारी ज्यादा खतरनाक होगी या इससे संक्रमण का खतरा अधिक होगा.”

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क्या वैक्सीन इस नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर होगी?

कोरोना के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में बताते हुए NTAGI के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने
बताया कि इस नए वेरिएंट के बारे में तब ही कुछ स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है जब
इसके कुछ और मामले सामने आएंगे. फिलहाल जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें ऐसा
प्रतीत हो रहा है कि वैक्सीन की एक या दो डोज वाले लोगों में इस नए वेरिएंट से संक्रमण का खतरा कम है.

डॉ एनके अरोड़ा ने आगे बताया कि यह वेरिएंट काफी तेजी से फैल सकता
है क्योंकि इसकी चपेट में आए लोग एसिम्प्टोमैटिक भी हो सकते हैं. जो कोरोना
संक्रमित तो होंगे लेकिन उनमें इसके लक्षण नहीं दिखेंगे इससे यह वेरिएंट एक से
दूसरे व्यक्ति में जल्द ट्रांसफर हो सकता है.

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