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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

गणेश चतुर्थी और कलंक चतुर्थी अलग-अलग दिन क्यों हैं?

भद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है. क्योंकि इस दिन कलंक चतुर्थी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी द्वारा चंद्रमा को एक श्राप दिया गया था जिसके चलते इस दिन चंद्रमा नहीं देखा जाता है.

Written by:Stuti
Published: August 29, 2022 01:44:17 New Delhi, Delhi, India

Kalank Chaturthi Or Ganesh Chauth 2022: भद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है. क्योंकि इस दिन कलंक चतुर्थी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी द्वारा चंद्रमा को एक श्राप दिया गया था जिसके चलते इस दिन चंद्रमा नहीं देखा जाता है. ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा देख ले तो उसे कलंक लगने, मानहानि जैसे गंभीर दोष लगने का डर रहता है.

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कब है कलंक चतुर्थी?

इस बार कलंक चतुर्थी 30 अगस्त को पड़ रही है और इस दिन कुछ सावधानियां बरतना भी जरूरी माना जाता है.

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 30 अगस्त 2022 को 03:33 पी एम बजे से

चतुर्थी तिथि समाप्त- 31 अगस्त 2022 को 03:22 पी एम बजे तक

चन्द्रोदय का समय: 08:28 AM

चन्द्रास्त का समय: 08:38 PM

अभिजीत मुहूर्त: 11:56 AM से 12:47 PM तक.

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गणेश चतुर्थी और कलंक चतुर्थी इस साल अलग-अलग दिन क्यों हैं?

शास्त्रों के अनुसार गणेश भगवान का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन दोपहर के समय हुआ था. इसलिए गणेश चतुर्थी का पर्व उस दिन मनाए जाने की परंपरा है जिस दिन दोपहर के समय चतुर्थी तिथि पड़ रही हो.

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पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्थी तिथि 30 अगस्त को दोपहर 3:35 से प्रारंभ हो रही है और इसकी समाप्ति 31 अगस्त को दोपहर 3:25 पर हो जाएगी. क्योंकि 31 अगस्त को मध्याह्न मुहूर्त में गणेश चतुर्थी रहेगी इसलिए गणेश जी की मूर्ति स्थापना के लिए 31 तारीख उपयुक्त मानी जा रही है. इसके अलावा 31 अगस्त की रात को चतुर्थी तिथि नहीं मान्य होगी इसलिए 30 अगस्त को ही कलंक चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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