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गुरु ना होने की स्थिति में इस तरह मनाएं गुरु पूर्णिमा, जानें पूजा की विधि

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, बुधवार को मनाई जायेगी. इस लेख में हम आपको बतायेंगे कि गुरु ना होने की स्थिति में किस तरह गुरु पूर्णिमा मनाई जा सकती हैं.

Written by:Muskan
Published: July 12, 2022 09:59:07 New Delhi, Delhi, India

आषाढ़ के महीने में आने वाली पूर्णिमा का हिंदू धर्म में खास महत्व हैं. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन लोग अपने गुरु का पूजन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सफल जीवन की कामना करते हैं. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, बुधवार को मनाई जायेगी.

हमारे यहां शास्त्रों में गुरु को बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं और गुरु रहित जीवन हेय बताया गया हैं लेकिन आपके जीवन में गुरु ना हों तो भी गुरु पूर्णिमा जरूर मनाएं. इस दिन पूजा करने से आपको हर काम में सफलता मिलेगी. इस लेख में हम आपको बतायेंगे कि गुरु ना होने की स्थिति में किस तरह गुरु पूर्णिमा मनाई जा सकती हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने गुरु की महिमा बताते हुए लिखा हैं –

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श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि |

बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि |

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार |

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।

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गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) ने हनुमान चालीसा के प्रारम्भ में ही इस दोहे के माध्यम से अपने श्रीगुरु हनुमान जी के प्रति गहरी श्रद्धा जाहिर की है. ऊपर लिखे इस दोहे का अर्थ हैं- ‘श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है. हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं. आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है. मुझे शारीरिक बल, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कार दीजिए.’

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गोस्वामी तुलसीदास जी ने बताया हैं कि गुरु वंदना से क्या लाभ होते हैं. गुरु शब्द की उत्पत्ति उपनिषदों से हुई है. गु का अर्थ है अज्ञान और रु का अर्थ है अज्ञान को मिटाने वाला, प्रकाश देने वाला. जो अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाए और जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, वही गुरु है.

हो सकता हैं आपके मन में यह सवाल कई बार उठा हो कि अपना गुरु किसे बनाये लेकिन फिर भी आप गुरु नहीं बना पाए. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यह आवश्यक नहीं कि किसी व्यक्ति विशेष को ही गुरु बनाया जाए. कहते हैं कि गुरु ऐसा हो, जो सदा के लिए हो. जीवन भर के लिए एक गुरु बनाना चाहिए जो आपका समय-समय पर मार्ग दर्शऩ करता रहें. यदि आपका कोई गुरु नहीं है तो आप इन्हें गुरु मानकर गुरु पूर्णिमा मना सकते हैं.

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1. हनुमान जी

जिस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास जी के गुरु हनुमान जी हैं, उसी प्रकार आप भी हनुमान जी को अपना गुरु मान सकते हैं. हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के प्रदाता हैं. वह परम ज्ञानी और परमवीर हैं. हनुमान जी को संकटमोचन माना गया हैं. हनुमान जी अपने शिष्यों का खास ख्याल रखते हैं. कहते हैं कि उनकी शरण में जाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

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2. धर्मग्रंथ- नवग्रह

हमारे धर्मग्रंथ सदा हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. जीवन पर्यंत हमें सही राह दिखाते हैं. अगर आपका और कोई गुरु नहीं हैं तो श्रीरामचरित मानस (Ramcharitmanas), भगवद्गीता (Bhagavad Gita) आदि को आप गुरु मानकर उनकी पूजा कर सकते हैं. इसी तरह नवग्रहों में से किसी एक को भी आप अपना गुरु बना सकते हैं.

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कैसे लें गुरु दीक्षा

हाथ में चावल, गंगाजल और कुछ दक्षिणा रखकर संकल्प लें और मंत्र पढें…ऊं गुरुवे नम:, ऊं हरि ऊं. मन ही मन अपने इष्ट को याद करें और संकल्प लें कि आज से आप हमारे गुरु हैं. हमने आप से दीक्षा ली हैं,हमारे घर परिवार में सुख-शांति बनाएं और हमारा कल्याण करें.

नोटः ये लेख मान्यताओं के आधार पर बनाए गए हैं. ओपोई इस बारे में किसी भी बातों की पुष्टि नहीं करता है.

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