Lord Dhanvantari: सनातन हिंदू धर्म (Hindu Religion) में अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती है. लोग देवी-देवताओं की पूजा कर उनके प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं. सभी भगवानों में भगवान धन्वंतरि भी आते हैं जिनकी पूजा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को की जाती है. इस दिन को देशभर में धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इस साल धनतेरस (Dhanteras) का यह त्योहार 22 अक्टूबर 2022 को पड़ रहा है. आइए आज आपको बताते हैं कि भगवान धन्वंतरि कौन हैं, और इनका जन्म कैसे हुआ? और क्यों की जाती है उनकी पूजा.

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कौन हैं भगवान धन्वंतरि, कैसे हुआ इनका जन्म

पौराणिक ग्रंथो के अनुसार धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएं है जिनमें से दो भुजाओं में आयुर्वेद ग्रन्थ और अमृत कलश होता है. और दो भुजाओं में शंख और औषधि होती है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान उसमें से कई रत्न निकले, जैसे- कामधेनु, अप्सराएं, ऐरावत हाथी. लेकिन सबसे आखिर में भगवान धन्वंतरि जी हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. इसलिए आपने भगवान धन्वंतरि की जितनी भी तस्वीरें देखी होंगी उन सबमें अमृत कलश जरूर होता है.

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धनतेरस के दिन क्यों की जाती है भगवान धन्वंतरि की पूजा

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जिस दिन भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर उत्पन्न हुए उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए तब से कार्तिक की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का विधान है. भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु पीतल है इसलिए धनतेरस के दिन पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है.

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आयुर्वेद के स्वामी माने जाते हैं धन्वंतरि

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है. ग्रंथो में कहा गया है कि भगवान धन्वंतरि ने कई प्रकार की जीवनदायिनी औषधियों की खोज की और इसके उपयोग के बारे में बताया. बता दें कि आयुर्वेद का वर्णन धन्वंतरि संहिता में ही मिलता है. महर्षि विश्वामित्र के पुत्र सुश्रुत ने भगवान धन्वंतरि से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की और आयुर्वेद के ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.