Pitra Paksha 2022 Tritiya Tithi Shradha:पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) की शुरुआत 10 सितंबर 2022 से हो चुकी है. इस बार पितृपक्ष 10 सितंबर से लेकर 25 सितंबर,2022 (Pitru Paksha 2022) तक रहेगा. पितृपक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध (Shradh) करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस वर्ष पितृ पक्ष 16 दिनों तक पड़ रहा है जो आश्विन मास की अमावस्या (Amavasya) तिथि को समाप्त होगा. पितृ पक्ष में पूर्वजों की शांति के लिए पूजा की जाती है और श्राद्ध किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर लौटते हैं, ताकि वे श्राद्ध करके मोक्ष प्राप्त कर सकें.

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पितृ पक्ष में तृतीय तिथि (Tritiya Tithi Shradha) का श्राद्ध 12 सिंतबर 2022 को है.अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि के श्राद्ध को तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. एबीपी न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, तृतीया तिथि के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, दान और पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है. इस लेख में हम आपको बताएंगे पितृ पक्ष 2022 तृतीय तिथि का श्राद्ध मुहूर्त और श्राद्ध के लिए किन चीजों का होना आवश्यक है.

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अश्विन कृष्ण तृतीय तिथि आरंभ- 12 सितंबर 2022, सुबह 11 बजकर 35 मिनट से

अश्विन कृष्ण तृतीय तिथि समाप्त- 13 सितंबर 2022, सुबह 10 बजकर 37 मिनट तक

पितृ पक्ष 2022 तृतीय तिथि श्राद्ध मुहूर्त

कुतुप मूहूर्त– सुबह 11:58 – दोपहर 12:48

रौहिण मूहूर्त- दोपहर 12:48 – दोपहर 01:37

अपराह्न काल- दोपहर 01:37 – दोपहर 04:06

पित पक्ष 2022 श्राद्ध सामग्री

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पितृ पक्ष में इन चीजों के बिना तर्पण और श्राद्ध करना अधूरा माना जाता है. श्राद्ध कर्म में तिल, चावल, कुश या तुलसी और जौ का होना अधिक आवश्यक है.

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1.कुश – श्राद्ध करते समय कुश से बनी अंगूठी को अनामिका उंगली में धारण करने का विधान है. मान्यता है कि इसे पहनने से तर्पण करने से पितर की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कुशा के पहले भाग में ब्रह्मा, बीच के भाग विष्णु और मूल भाग में महादेव का वास होता है.

2.तिल-मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में और पिंडदान करने में तिल का इस्तेमाल करने से पूर्वजों को शांति प्राप्त होती है. मान्यता के मुताबिक, जिन लोगों की अकाल मृत्यु होती है उनका जल में काले तिल मिलाकर श्राद्ध करने से उन्हें मुक्ति की प्राप्ति होती है.

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3.तुलसी- धार्मिक कार्य और हर प्रकार के छोटे से बड़े पूजन में तुलसी का प्रयोग किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि तुलसी की गंध से पितर खुश हो जाते हैं और उनकी आत्मा अनंतकाल तक तृप्त रहती है.

4.चावल – प्राचीन समय से पितृ पक्ष में चावल की खीर बनाने की परंपरा जारी है. कहा जाता है कि चावल के पिंड इस उद्देश्य से बनाए जाते हैं कि इससे पितरों को लंबे समय तक उनकी आत्मा तृप्त हो और उन्हें शीतलता मिले. यदि श्राद्ध करते समय चावल न हो तो जौ के पिंड भी बनाए जाते हैं. जौ को सोने के समान शुद्ध माना जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.