Shani Pradosh Vrat 2022 Date: हिंदू (Hindu) धर्म में हर पर्व और व्रत का विशेष महत्व होता है. इन्हीं में से एक व्रत है प्रदोष व्रत. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित माना गया है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत सबसे शुभ माना जाता है. हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) रखा जाता है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष. इस महीने का प्रदोष व्रत शनिवार, 5 नवंबर को पड़ रहा है. इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है.  भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्त को सभी प्रकार के सुखों का अनुभव होता है.

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शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक, नवंबर का पहला शनि प्रदोष व्रत 05 नवंबर को रखा जाएगा. शनिवार को शाम 05 बजकर 06 मिनट से शुरू होगा और इसके अगले दिन यानि शाम 04 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर जी की पूजा करने का समय शाम को 06 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर रात 08 बजकर 35 मिनट तक रहेगा.

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शनि प्रदोष व्रत महत्व

प्रदोष व्रत का सप्ताह के दिनों के अनुसार अलग-अलग महत्व और प्रभाव होता है. शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए लाभकारी माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से मनुष्य को वैवाहिक जीवन में खुशहाली मिलती है,कर्ज से मुक्ति, नौकरी-व्यापार में तरक्की और शनि दोष, ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कम हो जाता है.

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कैसे करें प्रदोष व्रत पूजन

-शनि प्रदोष व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठें और स्नान करें.

– साफ़ व हल्के सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनें.

-शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें और बेलपत्र, अक्षत, धुप, दीप व गंगाजल आदि से भगवान भोले नाथ की पूजा करें.

-पूरे दिन उपवास के बाद शाम को दोबारा स्नान करें और प्रदोष काल में उतर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कुशा के आसन पर बैठें.

-भगवान भोले नाथ को जल से स्नान कराकर रोली, मोली, चावल, धुप, दीप से उनकी पूजा करें.

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-भगवान शिव को चावल की खीर और फल का भोग लगाएं.

-आखिरी में 108 बार ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें और भोले नाथ का ध्यान करें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.