Putrada Ekadashi 2022: सावन (Sawan) महीने की पुत्रदा एकदाशी पर भगवान श्रीहरि की पूजा का विधान है. हिन्दू धर्म में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल पुत्रदा एकादशी 8 अगस्त के दिन पड़ रही है. हिन्दू (Hindu) पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पुत्रदा एकादशी (Ekadashi) व्रत रखते समय व्रत कथा को सुनना या पढ़ना चाहिए. अगर आपने भी श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत रखा है तो पूजा के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha in Hindi).

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha)

एक किवदंती के मुताबिक, महिष्मती नामक राज्य में महिजीत नामक राजा का शासन हुआ करता था. महिजीत एक जिम्मेदार, दयालु और उदार शासक था. उनकी प्रजा स्वयं को उनके नेतृत्व में सुरक्षित महसूस करती थी.

अमर उजाला न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, राज की प्रजा उनसे प्रसन्न थी. तो वहीं, राजा आए दिन उदास रहता था. जब उनकी प्रजा को उनकी उदासी के कारण के बारे में जानकारी मिली तो वह किसी सन्यासी के मार्गदर्शन के लिए निकले. वहां लोमेश ऋषि से प्रजा के सज्जनों से मुलाकात की.

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ऋषि से जनता ने अपने राजा की परेशानी का समाधान में निकालने के लिए उनकी मदद मांगी. ऋषि ने बताया कि राजा ने पिछले जन्म में पाप किया था. उन्होंने बताया कि महिजीत अपने पूर्वजन्म में एक गरीब व्यापारी था. उन्होंने आगे बताया कि एक व्यापारी ने तालाब से पानी पीते समय एक गाय को दूर धकेल दिया था.

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लेकिन उसने ऐसा पानी से प्यास बुझाने के लिए किया. स्वार्थ के लिए गाय को पानी से वंचित करके, उसने अपने कर्म के क्रोध को आमंत्रित किया. इसका समाधान ऋषि लोमेश ने बताते हुए कहा कि सावन महीने की शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि पर व्रत करने से व्यक्ति अपने पिछले पापों से निजात मिल जाती है.

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ऋषि का शुक्रिया कर लोगों ने राजा को ऋषि का संदेश दिया. राजा महिजीत ने ऋषि की बात का पालन किया और सावन महीने की एकादशी के दिन पर व्रत रखा. इसके बाद उनकी पत्नी गर्भवती हुई और उन्हें एक बच्चे का आशीर्वाद मिला.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.