हिंदू धर्म में महालया का विशेष महत्व माना गया है. महालया (Mahalaya 2023) के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाएगी. आपको बता दें कि इस दिन को नवरात्रि और पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का संधिकाल भी कहा जाता है. इस दिन विधि विधान से माता दुर्गा की पूजा अर्चना करके उनसे अपने घर आगमन के लिए निवेदन किया जाता है और पितरों को जल तिल अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया जाता है. दुर्गा पूजा के पहले महालया (Mahalaya 2023) का अपना एक खास महत्व है. बंगाल में इस दिन को बड़े ही खास तरीके से सेलिब्रिट किया जाता है. इसके साथ ही जिन राज्यों में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जाता है उन राज्यों में भी महालया का सेलिब्रेशन देखते ही बनता है.

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कब है महालया 2023?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, महालया और पितृ पक्ष अमावस्या एक ही दिन मनाई जाती है. इस बार यह 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा. मान्यतानुसार, महालया के दिन ही हर मूर्तिकार मां दुर्गा (Maa Durga) की आंखें तैयार करता है. इसके बाद से मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप देना शुरु कर दिया जाता है. गौरतलब है कि दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विशेष महत्व है और यही प्रतिमाएं पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं. इस बार मां दुर्गा का पावन सप्ताह 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, जबकि मां दुर्गा की विशेष पूजा 19 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर दशमी (Vijayadashami) तक चलती रहेगी.

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महालया का महत्व

आपको बता दें कि महालया का महत्व बंगाली समुदायों में विशेष माना जाता है. वहां इस दिन की धूमधाम देखते ही बनती है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोगों को इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है और महालय के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत करते हैं. बता दें कि महालया नवरात्रि और दुर्गा पूजा के शुरुआत का दिन है. मान्यतानुसार, महालया के दिन ही पितरों को विदाई दी जाती है और माता का धरती पर स्वागत किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)