जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन व्रत और पूजा करने
के बाद भी यदि आपको फल नहीं मिलता है, तो शायद आपकी पूजा में कुछ कमी है. ऐसे में
आज हम आपको उन गलतियों के बारे में बताएंगे जो भक्त अनजाने में करते हैं.
जन्माष्टमी दोनों दिन 18 और 19 अगस्त को मनाया जा रहा है. लोग पंचाग के अनुसार एक दिन भगवान कृष्ण का
व्रत रखेंगे. हालांकि हर भक्त चाहता है कि उसके व्रत और पूजा में किसी प्रकार की
कोई कमी न हो. इसके लिए वह पहले से ही तैयारी में लगे हुए है. हालाँकि, कुछ गलतियाँ, जानकारी के अभाव
के कारण भी होती हैं. जाने अनजाने में भगवान कान्हा इन गलतियों के कारण क्रोधित हो
जाते हैं और उनका आशीर्वाद नहीं मिलता है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी के दिन किन
गलतियों से बचना चाहिए और कैसे पूजा करना चाहिए जिससे संपूर्ण फल की प्राप्ति हो.

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जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा
करते समय रखें इन बातों का ध्यान

काला रंग आमतौर पर काले और अशुभ
चीजों का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में जन्माष्टमी के दिन भगवान को कोई भी काला
पदार्थ न चढ़ाएं और पूजा के समय भी काले कपड़े न पहनें. 

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रात:
स्नान कर व्रत का संकल्प लें. इसके साथ ही तांबे के बर्तन में जल, लाल फूल, अक्षत और रोली
मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

जन्माष्टमी के दिन सात्विक भोजन करें.
इस दिन लहसुन, प्याज, मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर आप जन्माष्टमी का व्रत करने जा
रहे हैं तो इसे पानी और फलों के साथ रख सकते हैं.

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जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी को दूध,
दही, मक्खन, मिश्री, लड्डू आदि का भोग
लगाएं. साथ ही उन्हें तुलसी के पत्ते अवस्य चढ़ाए.

भगवान की पूजा के दौरान उन्हें
दूर्वा, कुमकुम, चंदन, चावल, अबीर, फूल आदि अर्पित करें. इसके साथ ही
उनके सामने शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाएं.

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जन्माष्टमी के दिन चव्हाण से बचना
चाहिए. सनातन धर्म में जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बने भोजन से बचना चाहिए.
ऐसा करने से व्रत या पूजा करने पर भी जन्माष्टमी का पूर्ण फल नहीं मिलता है.

जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल की पूजा
के साथ-साथ राधारानी की भी पूजा करनी चाहिए.