भाद्रपद का महीना अपने साथ कई सारे व्रत और त्योहारों को साथ लेकर आता है. जी हां, यह महीना भी सावन की तरह ही काफी धार्मिक महीना होता है. इस महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी का व्रत (Hal Shashti Vrat) मनाया जाता है. इस व्रत को अलग अलग जगहों पर चंद्रषष्ठी, रंधन छठ, हलछट, बलदेव छठ और ललई छठ जैसे नामों से पुकारा जाता है. इस वर्ष यह हलषष्ठी का व्रत 17 अगस्त दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन को बलराम जयंती (Balram Jayanti) के रूप में भी मनाया जाता है.

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हर छठ व्रत कथा

हरछठ पर क्षेत्रीय स्तर पर वैसे तो बहुत सी कथाएं कही जाती हैं लेकिन यह कथा विशेष रूप से प्रचलित है. एक ग्वालिन दूध दही बेचकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी. एक बार वह गर्भवती और दूध बेचने जा रही थी तभी रास्ते में उसे प्रसव पीड़ा होने लगी. इस पर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहीं पर एक पुत्र को जन्म दिया. ग्वालिन को दूध खराब होने की चिंता थी इसलिए वह अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाकर पास के गांव में दूध बेचने के लिए चली गई. उस दिन हर छठ व्रत था और सभी को भैंस का दूध चाहिए था लेकिन ग्वालिन ने गाय के दूध को भैंस का बताकर सबको दूध बेच दिया.

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इससे छठ माता को क्रोध आया और उन्होंने उसके बेटे के प्राण हर लिए. ग्वालिन जब लाैटकर आई तो रोने लगी और अपनी गलती का अहसास किया. इसके बाद सभी के सामने अपना गुनाह स्वीकार पैर पकड़कर माफी मांगी. इसके बाद हर छठ माता प्रसन्न हो गई और उसके पुत्र को जीवित कर दिया. इस वजह से ही इस दिन पुत्र की लंबी उम्र हेतु हर छठ का व्रत व पूजन होता है.

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हलषष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त

षष्ठी तिथि की अगर बात करें, तो यह 16 अगस्त दिन मंगलवार को रात 8 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगी. जो कि 17 अगस्त रात 9 बजकर 20 मिनट तक रहने वाली है. वहीं उदयतिथि के अनुसार, हलषष्ठी का यह व्रत 17 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस व्रत को धारण करने से कई लाभ मिलते हैं.

नोटः ये लेख मान्यताओं के आधार पर बनाए गए हैं. ओपोई इस बारे में किसी भी बातों की पुष्टि नहीं करता है.