Chaitra Purnima Vrat Katha: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है. इसी दिन हनुमान जयंती का पर्व भी मनाया जाता है. कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा पर कथा सुनने या पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की कथा के बारे में.

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चैत्र पूर्णिमा व्रत कथा (Chaitra Purnima Vrat 2023 Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नाम का एक विद्वान ब्राह्मण रहता था. वह बहुत लालची थे. उसका उद्देश्य किसी भी तरह से पैसा कमाना था और ऐसा करने से वह समय से पहले बूढ़ा दिखने लगा और उसे तरह-तरह की बीमारियां होने लगीं. इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी पैसे कमाने में लगा दी और सोचने लगे कि अब जिंदगी कैसे बचेगी.

इस दौरान उन्हें चैत्र पूर्णिमा पर स्नान का महत्व बताने वाला एक श्लोक याद आया और उन्होंने नर्मदा नदी में डुबकी लगाई. लगभग 9 दिनों तक स्नान करने के बाद विद्वान ब्राह्मण का स्वास्थ्य बिगड़ गया और मृत्यु का समय आ गया. ब्राह्मण सोच रहा था कि उसने अपने जीवन में कोई भी अच्छा कर्म नहीं करने के लिए नरक में कष्ट उठाना पड़ेगा. लेकिन सच तो यह था कि चैत्र पूर्णिमा में  स्नान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.

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चैत्र पूर्णिमा के उपाय (Chaitra Purnima 2023 Upay)

मां लक्ष्मी को खीर बेहद पसंद है, चैत्र पूर्णिमा के दिन उन्हें खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. साथ ही जीवन की सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)