टोक्यो ओलंपिक 2020 की शुरुआत 23 जुलाई से जापान के टोक्यो शहर में हो जाएगी. यह 8 अगस्त तक खेले जाएंगे. इस साल कोरोना महामारी ने छोटे से लेकर बड़े इवेंट तक सभी पर अपना प्रकोप दिखाया है. ओलंपिक खेल भी उससे अछूते नहीं रहे. सभी खिलाड़ियों का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए ओलंपिक मेडल जीते. लेकिन क्या आपको पता है हर साल की तरह इस साल खिलाड़ियों को कोई और मेडल नहीं पहनाएगा बल्कि उन्हें खुद ही मेडल पहनना होगा. 

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कोरोना के चलते लिया फैसला 

इस बार के ओलंपिक में खिलाड़ियों को कोई दूसरा व्यक्ति पदक नहीं पहनाएगा. आईओसी (अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति) ने यह फैसला कोरोना महामारी को देखते हुए लिया है. खिलाड़ियों को संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए इस बार उन्हे खुद से ही पदक पहनना होगा. 

1896 के दौरान ओलंपिक गेम्स (Olympic Games) में जीतने वाले खिलाड़ी को जैतून के फूलों से बना मेडल दिया जाता था. धीरे-धीरे संस्कृति बदली टेक्नोलॉजी बदली और मेडल भी लगातार बदलते रहे. साल 1904 में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज़ मेडल का उपयोग शुरू हो गया. लेकिन समय-समय पर इन मेडल पर बने डिजाइन में बदलाव होता रहा. इस बार का मेडल भी काफी अनोखा है. 

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कैसा है टोक्यो ओलंपिक का मेडल? 

टोक्यो ओलंपिक का मेडल पिछले पदक से काफी अलग है. इस बार मेडल्स, रीसाइकल्ड इलेक्ट्रिक सामानों से बनाया गया है. इसके लिए जापान के लोगों ने 76 टन इलेक्ट्रिक समान दान किया था. अगर इसके आकार की बात करें तो इन मेडल्स का व्यास 8.5 सेंटीमीटर होगा. इसके साथ ही मेडल पर यूनान की जीत की देवी ‘नाइकी’ (Nike) की तस्वीर होगी.

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