Mathura Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा का नाम सुनते ही श्रीकृष्ण का नाम सबसे पहले जहन में आता है लेकिन इन दिनों इसको लेकर काफी विवाद हो रहा है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के विवाद (Mathura Controversy) में एक नया मोड़ आया है. मथुरा ने विवादित स्थल पर सर्वे कराने का आदेश दिया गया है. हिंदू पक्ष द्वारा इसकी मांग की गई थी. कोर्ट ने अमीन को 20 फरवरी तक नक्शे समेत शाही ईदगाह विवादित स्थल की सर्वेक्षण रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने के आदेश दिये हैं. मगर ये मथुरा मंदिर और ईदगाह विवाद क्या है चलिए बताते हैं.

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 क्या है मथुरा मंदिर और ईदगाह विवाद? 

शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर में ही है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी.

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इस विवाद में ये 13.37 एकड़ की जमीन ही अहम मुद्दा है जिसमें से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास रह गई. इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी थी. मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई. अब हिंदू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग की गई.

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इस मामले में बताया जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था. उसकी जगह पर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया था. साल 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग छिड़ गई थी.

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इसमें मराठा जीत गए और इसके बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण करा दिया में था. साल 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को बांट दिया था साल 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने भी भूमि ले ली थी.