आपने अक्सर फिल्मों, किस्सों और कहानियों में भूतिया जगहों के बारे में सुना होगा. मगर बहुत से लोग भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करते, मगर विश्वास करने वाले पूरी तरह से मानते हैं कि असमय लोगों की मौत पर उनकी आत्माएं भटकती ही हैं. यहां हम आपको भारत की 5 ऐसी भयानक जगहों के बारे में बताएंगे जो सच्ची घटनाओं पर आधारित है और वहां आस-पास रहने वालों ने इस बात को महसूस भी किया है.

भानगढ़ किला (राजस्थान)

राजस्थान राज्य के अलवर जिले में भानगढ़ नाम की एक जगह है. यहां का किला बहुत ही विशाल है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी सूर्यास्त के बाद यहां नहीं जाता. ऐसा माना जाता है कि 16वीं सदी में यहां कत्लेआम हुआ था और अंधेरा होने के बाद यहां आत्माओं की चीखें सुनाई देती हैं. यहां पर आत्माएं घूमती हैं और स्थानीय लोगों ने इसे महसूस किया, तभी से यहां पर अंधेरे के बाद जाना मना है.

कुलधरा गांव (राजस्थान)

राजस्थान के जैसलमेर से करीब 18 किलोमीटर दूर कुलधरा गांव स्थित है. इस गांव में एक ऐसा राज है जिसे सुलझाने की बहुत कोशिश की गई लेकिन ये आज भी अनसुलझा है. यहां एक ऐसा राज दफ्न है जो कोई नहीं समझ पा रहा है, स्थानीय बुजुर्गों के मुताबिक, कुलधरा में सैकड़ों आत्माएं सालों से भटक रही हैं और यह गांव एक श्राप के साथ आज भी जुड़ा है. ऐसा बताया जाता है कि साल 1291 के आसपास रईस और मेहनती पालीवाल ब्राह्मण ने 600 घरों का ये गांव बसाया था. ये ब्राह्मण ना सिर्फ मेहनती थे बल्कि वैज्ञानिक तौर पर भी कुशल थे और इसी के आधार पर यहां मकानों को बनाया गया था. मगर एक समय ऐसा आया कि एक दीवान सालम सिंह की नजर ब्राह्मण की लड़की पर पड़ी और वह हर संभव कोशिश करके उसे पाना चाहता था लेकिन नाकामयाब रहा. 

फिर सालम सिंह ने गांव वालों को धमकाया कि पूर्णमासी तक उस लड़की को अगर गांववाले नहीं सौंपे तो वह उसे उठाकर ले जाएगा. स्त्री के सम्मान में पूरे गांववालों ने एक साथ गांव छोड़ने का फैसला किया. रातों-रात कुलधरा के आस-पास बसे करीब 84 गांव के सभी ब्राह्मणों ने गावं खाली कर दिया और जाते-जाते गांव को श्राप दिया कि इस स्थान पर कभी कोई नहीं बस पाएगा. श्राप के कारण यहां की जमीन बंजर हो गई और वो गांव बरबाद हो गया जो ब्राह्मणों ने बसाया था. दीवान अपने राज में गांववालों को मारता-पीटता था और गुलामों की तरह रखता था. श्रापित इस गांव में आज भी महिलाओं के खिलखिलाने की और चूड़ियों की आवाजें आती हैं.  

जमली-कमली मस्जिद (दिल्ली)

जमली और कमली दो सूफी संत दिल्ली में रहा करते थे जो मशहूर मेहरौली पुरातात्विक कॉम्पेक्स में मौजूद मस्जिद में धर्म की शिक्षा दिया करते थे. उन दोनों को उसी मस्जिद में दफना दिया गया था और तभी से ऐसा माना जाता है कि यहां जिन्न रहते हैं जो यहां आने जाने वालों को जानवरों की आवाज निकालकर बुलाते हैं.  

रामोजी फिल्म सिटी (हैदराबाद)

हैदराबाद से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित नलगोंडा है जहां रैमोजी फिल्म सिटी है. साल 1996 में 2000 एकड़ में इसे रामोजी राव ने बनवाया था जो दक्षिण भारत के मशहूर निर्माता हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह जगह कभी जंग का मैदान हुआ करती थी जिसे निजामों की युद्ध भूमि कहते थे. जानकारों के मुताबिक यहां आज भी मृत सैनिकों की आत्माएं भटकती हैं जो शाम के समय यहां आने-जाने वालों को परेशान करती हैं.

मुकेश मिल्स (मुबंई)

साल 1852 में मुकेश मिल का निर्माण हुआ था जो 10 एकड़ की थी और यहां कपड़े बनते थे. साल 1970 में मुकेश मिल में एक शॉटसर्किट हुआ और मिल जल गई. मगर दो सालों के बाद इस मिल को फिर से चलाया गया. लगभग एक दशक के बाद यहां फिर से ऐसी आग लगी जो संभल नहीं पाई. बाद में यह जगह खंडहर बन गई और फिल्मों की शूटिंग होने लगी. फिल्म हम का सुपरहिट गाना ‘जुम्मा-चुम्मा दे दे’ की शूटिंग यहीं हुई थी और उस समय ये खबर सामने आई थी कि अमिताभ बच्चन सहित क्रू मेंबर्स को यहां किसी के होने का एहसास हुआ था. 

मिल में काम करने वाले सैकड़ों वर्कर्स इस आग की चपेट में आ गए थे जिससे उनकी मौत हो गई थी. ऐसा कहा जाता है कि हॉरर फिल्मों की शूटिंग के दौरान यहां कई बार फिल्मी सितारों को आस-पास किसी के होने का एहसास होता था इसलिए यहां शूटिंग करने से वे अक्सर मना कर देते थे. ऐसा ही एक सीन फिल्म ओम शांति ओम में भी फिल्माया गया था.

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