Antyodaya Diwas 2023: पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती मनाने और उनके जीवन और विरासत को याद करने के लिए भारत में हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस मनाया जाता है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सम्मान में समर्पित किया था. वह एक नेता और अनुभवी राजनीतिज्ञ थे और भारतीय जनसंघ पर उनका महत्वपूर्ण प्रभाव था, जिससे भाजपा का उदय हुआ.

अंत्योदय शब्द का अर्थ है गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने और उसकी मदद करने के उद्देश्य से यह दिन मनाया जाता है.

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अंत्योदय दिवस का इतिहास (Antyodaya Diwas 2023)

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 1916 में मथुरा में हुआ था. 1940 के दशक में, उन्होंने संघ शिक्षा में 40 दिवसीय शिविर और आरएसएस शिक्षा विंग में दो साल का प्रशिक्षण लिया. उन्होंने 1953 से 1968 तक भारतीय जनसंघ की सेवा की, जहां वे भाजपा और इसकी स्थापना के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत बने. अपनी सभी संगठनात्मक क्षमताओं के अलावा, वह अपने दार्शनिक और साहित्यिक कार्यों के लिए भी जाने जाते थे. उन्होंने मन, शरीर, बुद्धि और आत्मा के समग्र विकास की वकालत करते हुए ‘एकात्म मानववाद’ की अवधारणा विकसित की. 11 फरवरी 1968 को 51 वर्ष की आयु में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का निधन हो गया.

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अंत्योदय दिवस का महत्त्व

अंत्योदय मिशन की भावना का लक्ष्य अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है, और इसलिए, इस दिन का आदर्श वाक्य भारत के सभी गरीबों और ग्रामीण युवाओं की मदद करना और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रोजगार के अवसर खोजने में मदद करना है.

2014 में, अंत्योदय दिवस पर, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने मौजूदा कौशल विकास कार्यक्रम आजीविका कौशल को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में फिर से लॉन्च किया. बाद में नवंबर 2015 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना- एनआरएलएम कर दिया गया.