अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक गर्ल्स स्कूल में हुए बम धमाके में 50 छात्राओं की मौत हो गई है. मरने वालों में ज्यादातर 11 से 15 साल की लड़कियां हैं. हमले में घायल हुए लोगों की संख्या भी 100 से अधिक हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने घटना की कड़ी निंदा की है.

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया कि स्कूल की छुट्टी होने के बाद छात्राएं जब बाहर निकल रही थीं तब स्कूल के प्रवेश स्थान के बाहर तीन धमाके हुए. ये धमाके राजधानी के पश्चिम में स्थित शिया बहुल इलाके में हुए हैं. तालिबान ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है और घटना की निंदा की है.

पहला धमाका विस्फोटकों से लदे एक वाहन से किया गया जिसके बाद दो और धमाके हुए. साथ ही उन्होंने कहा कि हताहतों की संख्या अब भी बढ़ सकती है.

ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में कोरोना के 23 हजार नए केस, एक्टिव मामलों में कमी आई

निरंतर बम धमाकों से दहली रहने वाली राजधानी में शनिवार को हुआ हमला अब तक का सबसे निर्मम हमला है. अमेरिकी और नाटो बलों की अंतिम टुकड़ियों की अफगानिस्तान से वापसी प्रक्रिया पूरी करने के बीच सुरक्षा के अभाव और अधिक हिंसा बढ़ने के भय को लेकर आलोचनाएं तेज होती जा रही हैं.

इन हमलों में पश्चिमी दश्त-ए-बारची इलाके के हाजरा समुदाय को निशाना बनाया गया जहां ये धमाके किए गए वहां अधिकांश हाजरा शिया मुसलमान हैं.

ये भी पढ़ें: राजस्थान रॉयल्स के तेज गेंदबाज चेतन सकारिया के पिता का COVID-19 से निधन

यह इलाका अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों के लिये कुख्यात है और इन हमलों की जिम्मेदार अक्सर देश में काम कर रहे इस्लामिक स्टेट संबद्ध संगठन लेते हैं. शनिवार को हुए धमाकों की जिम्मेदारी अब तक किसी ने नहीं ली है.

कट्टर सुन्नी मुस्लिम समूह ने अफगानिस्तान के शिया मुस्लिमों के खिलाफ जंग की घोषणा की है. इसी इलाके में पिछले साल मातृत्व अस्पताल में हुए क्रूर हमले के लिए अमेरिका ने आईएस को जिम्मेदार ठहराया था जिसमें गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु मारे गए थे.

ये भी पढ़ें: कर्नाटक और गोवा में 10 मई से 14 दिन का लॉकडाउन, जानें गाइडलाइंस

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता गुलाम दस्तीगार नजारी ने कहा कि बम धमाकों के बाद, गुस्साई भीड़ ने एंबुलेंसों और यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों पर भी हमला किया जो घायलों को निकालने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने निवासियों से सहयोग करने और एंबुलेंसों को घटनास्थल पर जाने देने की अपील की.

सईद अल शाहदा स्कूल के बाहर खून से सने स्कूल बैग और किताबें बिखरी पड़ीं थी. सुबह में, इस विशाल स्कूल परिसर में लड़के पढ़ते हैं और दोपहर में लड़कियों के लिये कक्षाएं चलती हैं.

इलाके के निवासियों ने बताया कि धमाके बहरा कर देने वाले थे. नासिर राहिमी ने बताया कि उन्होंने तीन अलग-अलग धमाके सुने और फौरन सोच लिया कि धमाके इतने भीषण हैं कि मृतक संख्या निश्चित तौर पर बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 17 मई तक बढ़ा लॉकडाउन, जानें सरकारों ने क्या दिए निर्देश