Rekhta meaning; बोल-चाल की उर्दू भाषा को पहले ‘रेख़्ता’ बोला जाता था. रेख़्ता उर्दू भाषा/मिश्रित बोली का पुराना नाम है. इसका अन्य शाब्दिक अर्थ हैं- गिरा पड़ा, रेखा हुआ, उर्दू भाषा का पुराना नाम. फारसी-हिंदी मिलकर बोली जाने वाली आम भाषा को एक शताब्दी पहले रेख़्ता के नाम से जाना जाता था. 

यह भी पढ़ें: अगर अंग्रेज़ भारत नहीं आते तो हमारा देश कैसा होता?

रेख़्ता का एक अर्थ है ‘बिखरा हुआ’ और ‘मिला हुआ’. इसका तात्पर्य है कि इसमें फारसी और हिंदी शामिल हैं. रेख़्ता एक बहुत ही बहुमुखी स्थानीय भाषा है. उर्दू शायरी की चर्चित वेबसाइट ‘रेख़्ता’ ने खुद इस शब्द का अर्थ इस तरह बताया है- गिरा पड़ा, बिखरा हुआ, उर्दू भाषा का पुराना नाम जो उसे एक शताब्दी पहले प्राप्त था. 

यह भी पढ़ें: कैप्टन हनीफुद्दीनः सिर्फ 25 की उम्र में भारत के लिए शहीद हुए योद्धा की कहानी

रेख़्ता हिंदुस्तानी भाषा थी और ये बाद में दिल्ली की खड़ीबोली में तब्दील हो गई. यह शैली फ़ारसी-अरबी और देवनागरी दोनों लिपियों में बनी है और इसे उर्दू और हिंदी का शुरुआती रूप माना जाता है.

यह भी पढ़ें: कौन हैं ईशा अंबानी के पति आनंद पीरामल?

‘रेख़्ता’ शब्द का उपयोग 17वीं शताब्दी के आखिरी सालों से लेकर 18वीं शताब्दी के आखिरी सालों तक काफी अधिक होता था. इसके बाद इसे हिंदी/हिंदुवी (हिंदवी) और बाद में हिंदुस्तानी और उर्दू के नाम से जाना जाने लगा. हालांकि 19वीं शताब्दी के आखिरी सालों में इसका इस्तेमाल घटता गया. ‘रेख़्ता-शैली’ की कविता (मिश्रित, उर्दू भाषा का उपयोग करके कविता) आज भी उर्दू वक्ताओं द्वारा लिखी जाती है और वास्तव में उर्दू भाषा में कविता लिखने का सबसे आम भाषायी रूप है. ‘रेख़्ता’ का इस्तेमाल शायरी, कव्वाली, कविता, मुशायरे और नाटक लिखने में भी आम रूप से किया जाता है. इसका अधिक इस्तेमाल आपको भारत में दिल्ली या लखनऊ के कुछ हिस्सों में मिलेगा. जहां मुसलमानों की अधिक संख्या है. पुरानी दिल्ली या पुराने लखनऊ में इसी तरह की मिश्रित भाषा का इस्तेमाल होता है. आप इसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल इलाके भी जोड़ सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: कौन हैं फहमान खान?

‘रेख़्ता’ साईट व संस्था के बारे में जानें 

‘रेख़्ता’ नाम से एक वेबसाइट भी है. ये सभी सोशल मीडिया माध्यमों पर भी एक्टिव है. ‘रेख़्ता’ उर्दू शायरी की वेबसाइट है. एक संस्था के रूप में ये उर्दू या मिश्रित बोली को सेलिब्रेट करने का काम करती है. इस वेबसाइट पर 1200 उर्दू शायरों की 12000 ग़ज़लें और नज़्में मौजूद हैं. इस वेबसाइट पर उर्दू लिपि न जानने वाले भी उर्दू शायरी और अन्य संरचनाओं को देवनागरी या इंग्लिश में पढ़ सकते हैं. ‘रेख़्ता’ उर्दू के साथ-साथ ‘हिंदवी’ नाम से भी एक सेगमेंट चलाता है, जिसपर आप हिंदी कविताएं व अन्य कंटेंट देख व पढ़ सकते हैं.

यह भी पढ़ें: कौन हैं ऋचा चड्ढा?

‘रेख़्ता’ जश्न-ए-रेख़्ता नाम से एक इवेंट भी आयोजित करवाता है. जश्न-ए-रेख़्ता का मतलब हुआ ‘रेख़्ता या मिश्रित उर्दू भाषा का जश्न’ (Jashn e rekhta meaning in hindi). आसान शब्दों में उर्दू भाषा का सेलिब्रेशन. बता दें कि ‘जश्न-ए-रेख़्ता 2022’ (7th Jashn-e-Rekhta 2022) का आयोजन दिल्ली के नेशनल ध्यानचंद स्टेडियम में 2 से 4 दिसंबर के बीच हुआ. 

यह भी पढ़ें: कौन हैं नदाव लपिड? जिन्होंने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘प्रोपेगेंडा’ बताया