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1 year ago .New Delhi, Delhi, India

Smartphone चलाते हैं तो हो जाएं सावधान! हैकर्स आपके फोन में ऐसे लगाए हैं सेंध

  • स्मार्टफोन्स पर मैलवेयर के अटैक का खतरा मंडरा रहा है
  • कोई भी थर्ड पार्ट ऐप इस्तेमाल करते समय उसके बारे में अच्छे से जान लें
  • स्मार्टफोन में मैलवेयर इंस्टॉल कर के हैकर्स आपकी निजी जानकारी चुरा सकते हैं

Written by:Ashis
Published: December 05, 2022 01:59:07 New Delhi, Delhi, India

स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. ऐसे में फोन की सुरक्षा भी हमारे लिए एक बड़ा महत्वपूर्ण विषय बन जाती है. ऐसे में आपको बता दें कि अगर आप Samsung और LG का स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बड़े काम की होने वाली है. दरअसल, दोनों कंपनी के स्मार्टफोन्स पर मैलवेयर के अटैक का खतरा मंडरा रहा है.

खबर है कि एंड्रॉइड सर्टिफिकेट कथित तौर पर ऑनलाइन लीक हो गया है, जिससे लाखों डिवाइस पर मैलवेयर अटैक हो सकता है. अच्छी खबर यह है कि यह सभी एंड्रॉइड यूजर्स को प्रभावित नहीं करता है. लेकिन मीडियाटेक चिपसेट का उपयोग करने वाले, एलजी के साथ-साथ सैमसंग के फोन्स इसकी चपेट में आ सकते हैं.

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गूगल के कर्मचारी और मैलवेयर रिवर्स इंजीनियर Lukasz Siewierski के मुताबिक, कई Android OEM को पब्लिकली पोस्ट किया गया है. जालसाज कंज्यूमर्स के स्मार्टफोन पर मैलवेयर इंस्टॉल करने के लिए कई पैतरों का इस्तेमाल कर सकते हैं. जिनमें कि हैकर डिवाइस के निर्माता और ऐप डेवलपर के पीछे से मैलवेयर डाल सकता है. उसके बाद अगर थर्ड पार्टी ऐप इंस्टॉल किया जाएगा और हैकर्स उसी के साथ आपके फोन के अंदर प्रवेश कर जाएगा.

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आपको बता दें कि सिस्टम इमेज पर एंड्रॉइड ऐप को साइन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप साइनिंग सर्टिफिकेट को प्लेटफॉर्म सर्टिफिकेट भी कहा जाता है. Google द्वारा एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार Android ऑपरेटिंग सिस्टम तक समान स्तर की पहुंच किसी भी अन्य प्रोग्राम के लिए उपलब्ध है, जो समान सर्टिफिकेट के साथ सर्टिफाइड है.

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खास बात यह है कि सैमसंग पहले से ही इस बात से सजग है. उनके एक बयान के मुताबिक, ‘हमने 2016 से इस मुद्दे के बारे में जागरूक होने पर सुरक्षा सुधारों को तैनात किया है, और इस संभावित भेद्यता के बारे में कोई ज्ञात सुरक्षा घटनाएं नहीं हुई हैं.’ एप्लिकेशन साइनिंग एक्ट के तहत हैंडसेट की सुरक्षा की जाती है. इस एक्ट से सुनिश्चित होता है कि डेवलपर ही ग्राहकों के स्मार्टफोन को सॉफ्टवेयर अपग्रेड के साथ सप्लाई करते हैं.

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