Railway Station का नाम पीले बोर्ड पर काले रंग से ही क्यों लिखा जाता है? वजह जानकर रह जाएंगे दंग!
- पीले बोर्ड पर ब्लैक से नाम लिखने से यात्रियों को नाम पढ़ने में दिक्कत नहीं होती है
- पीले बोर्ड पर ब्लैक से लिखने में विजिबिलीटी काफी अच्छी रहती है
- यात्रियों के साथ साथ यह रेल ड्राइवरों के लिए भी काफी सुविधाजनक होता है
Railway Stations Name in Black Colour on Yellow Board Reason: कभी न कभी आपने भारतीय रेल से सफर जरूर किया होगा और नहीं भी किया होगा, तो भी आपका स्टेशन आना जाना तो हुआ ही होगा. वहां पर शायद आपने गौर किया होगा कि रेलवे स्टेशन का नाम हमेशा पीले रंग के बोर्ड पर ही लिखा होता है. क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया कि आखिर ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है? इसके अलावा पीले बोर्ड पर स्टेशन का नाम काले रंग से ही क्यों लिखा जाता है? अगर नहीं, तो कोई बात नहीं आज हम आपको इन सारे सवालों के जवाब देने वाले हैं.
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पीले बोर्ड लगाए जाने का कारण
आपको बता दें कि पीला रंग मुख्य रूप से सूर्य की चमकदार रोशनी पर आधारित है. पीले रंग का सीधा कनेक्शन खुशी, बुद्धि और ऊर्जा से जुड़ा हुआ माना जाता है. भीड़भाड़ वाले इलाकों में पीले रंग का बैकग्राउंड बाकी रंगों के मुकाबले देखने में काफी अच्छा और क्लीयर दिखता है. इस बोर्ड को दिन और रात दोनों समय में ही स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. इसलिए स्टेशनों का नाम लिखने के लिए सदैव पीले रंग के बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है.
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पीले बैकग्राउंड पर काला रंग ज्यादा विजिबल
एक्सपर्ट्स की मानें, तो पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से लिखी हुई चीज देखने में काफी आसानी होने के साथ साथ अधिक प्रभावशाली होती है. इसे अच्छी खासी दूरी से भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. इसके अलावा रात में भी इसे देखने में कोई दिक्कत नहीं होती है. इसलिए पीले पर काले रंग से नाम लिखे जाते हैं. इसके साथ ही अगर आप गौर करें, तो सड़कों पर लगने वाले साइनबोर्ड पर भी पीले बैकग्राउंड पर ब्लैक से लिखावट होती है.
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पीले बोर्ड पर ब्लैक से नाम लिखने से ट्रेन के ड्राइवरों को भी काफी सहुलियत महसूस होती है. दरअसल, कई बार ट्रेनें हर स्टेशन पर नहीं रुकती हैं, तो इन बातों का ध्यान रखने के लिए ड्राइवर को बहुत ही अलर्ट रहने की आवश्यकता होती है और इन बोर्ड्स की मदद से वह अलर्ट हो जाते हैं.
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