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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

वट सावित्रि का व्रत करने वाली महिलाएं न करें ये काम, जानें पूजा विधि

हिंदू धर्म में वट सावित्रि का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है. इस साल वट सावित्री का व्रत 30 मई, 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन भूलकर भी वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं भूलकर भी न करें ये काम.

Written by:Kaushik
Published: May 29, 2022 02:57:41 New Delhi, Delhi, India

Vat Savitri Vrat 2022: हिंदू धर्म में वट सावित्रि (Vat Savitri) का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है.इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती हैं और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं. मान्यता है कि वट सावित्रि का व्रत करने से पति की लंबी आयु होती है और जीवन में सुख-शांति आती है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

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कब है वट सावित्रि का व्रत?

इस साल वट सावित्री का व्रत 30 मई, 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन वट सावित्री का व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा हैं. साथ ही, इस दिन सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है. ये इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है. अगर इस दिन आप शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं, तो अच्छा फल मिलता है.

वट सावित्रि व्रत तिथि

जी न्यूज के लेख के अनुसार, इस दिन अखंड सौभाग्य, संतान प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं. अमावस्या तिथि 29 मई, 2022 दोपहर 02:54 बजे से शुरू होकर 30 मई, 2022 को शाम 04:59 बजे तक होगी.

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इस दिन ढैय्या औक ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव और शनि की साढ़ेसाती को दूर करने के लिए वट सावित्री का व्रत रख कर विशेष पूजा करते हैं.

इसी के साथ शादीशुदा महिलाएं सौभाग्यवती होने के लिए वट सावित्री का व्रत करती है और उन्हें इस दिन किया हुआ दान का कई गुना फल प्राप्त होता है.

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व्रत की पूजा विधि

वट सावित्री व्रत करने के से पहले महिलाएं सबसे पहले स्नान करें और इसके बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री- सत्यवान की मूति रखें. वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. इसके बाद कच्चे सूत को वट वृक्ष पर बांधते हुए वृक्ष की सात बार परिक्रमा दें और महिलाएं सावित्री- सत्यवान की प्रतिमा के आगे भीगे चने, रोली-चावल, फूल-फल और फल अर्पित करें. इसके बाद सावित्री- सत्यवान की कहानी सुने.

वट सावित्री व्रत के कुछ खास नियम

जो महिलाएं वट सावित्री व्रत को करती है. वह भूलकर भी सफेद काले और नीले रंग के वस्त्र धारण न करें. इसी के साथ इन्हीं रंग की चूड़ी भी ना पहने. ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं प्रथम बार इस व्रत को रख रहीं है. वो इसकी शुरूआती व्रत अपने मायके में रखें और पूजा की सारी सामग्री भी पीहर की ही प्रयोग करें.

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जानें क्या है वट सावित्रि का महत्व

इस दिन विधि-विधान के साथ बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. मान्यता है कि बरगद के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करती हैं और उस पर कच्चा सूत का धागा लपेटती हैं. ऐसा करने से भगवान विष्णु जी की कृपा होती है और मान्यता है कि पति की उम्र भी लंबी होती है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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