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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई क्या है?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को 2007 में दक्षिणी भारत में तीन मुस्लिम संगठनों- केरल के 'नेशनल डेवलपमेंट फंड' (NDF), तमिलनाडु के मनिथा निथि पसाराई' और 'कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी' का विलय करके बनाया गया था.

Written by:Akashdeep
Published: September 22, 2022 05:12:36 New Delhi, Delhi, India

Who are the PFI; पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 2007 में दक्षिणी भारत में तीन मुस्लिम संगठनों- केरल के ‘नेशनल डेवलपमेंट फंड’ (NDF), तमिलनाडु के मनिथा निथि पसाराई’ और ‘कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी’ का विलय करके बनाया गया था. इन तीनों का विलय 22 नवम्बर 2006 को ही हो गया था, लेकिन आधिकारिक तौर पर इस संगठन की स्थापना 17 फरवरी 2007 को हुई थी. तीनों संगठनों के विलय का निर्णय नवंबर 2006 में केरल के कोझीकोड में एक बैठक में लिया गया था. 27 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने इस संगठन को ‘गुप्त एजेंडा चलाकर एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाने’ और ‘आतंकी संगठनों से जुड़े होने’ के आरोप में 5 साल के लिए बैन कर दिया. 

साथ ही PFI से जुड़े रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को भी पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है.

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PFI का दावा है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. पहले PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन अब ये दिल्ली में हैं. ओएमए सलाम PFI के अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान इसके उपाध्यक्ष.

स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर प्रतिबंध लगने के बाद उभरने वाली PFI ने खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है जो अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए के समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ता है. इसने कर्नाटक में कांग्रेस, भाजपा और जद-एस की कथित जनविरोधी नीतियों को अक्सर निशाना बनाया है. जबकि मुख्यधारा की इन पार्टियों ने एक दूसरे पर हमेशा ये आरोप लगाए हैं कि चुनावों में मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए वो पीएफआई से मिले हुए हैं. 

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PFI ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है. ये उसी तर्ज पर मुसलमानों के बीच सामाजिक और इस्लामी धार्मिक कार्यों को करने में शामिल रहा है जैसे आरएसएस, वीएचपी और हिंदू जागरण वेदिक जैसे दक्षिणपंथी समूह हिन्दुओं के साथ. पीएफआई अपने सदस्यों का रिकॉर्ड नहीं रखता है. इसलिए पुलिस और सरकारी एजेंसियां गिरफ्तारी के बाद ये साबित करने में नाकाम रही हैं कि आरोपी व्यक्ति PFI का है. 

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संगठन का एक राजनीतिक मोर्चा भी है, जिसे ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है. इस पार्टी का रजिस्ट्रेशन 2010 में कराया गया था. राजनीतिक पार्टी मुस्लिम, दलितों और अन्य हाशिए के समुदायों के राजनीतिक मुद्दों को उठाने के उद्देश्य से बनाई गई है. 

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नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 22 सितंबर को देशभर में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की. देश के 11 राज्यों में NIA ने छापेमारी की. इस बड़ी कार्रवाई में PFI से जुड़े 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. इनमें से केरल से सबसे ज्यादा 22 लोग गिरफ्तार किए गए. संगठन पर टेरर फंडिंग और देश विरोधी ट्रेनिंग कैम्प जॉइन करने के लिए युवाओं को उकसाने के आरोप लगे हैं. 

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