National Logistics Policy Benefits: पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिवस (17 सितंबर) के अवसर पर पूरे देश को एक बड़ी सौगात देने का काम किया है. जी हां, दरअसल पीएम मोदी ने इस मौके पर नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) का शुभारंभ किया, जिसे लेकर माना जा रहा है कि कारोबर जगत के लिए ये नीति वरदान साबित होने वाली है. प्रधानमंत्री मोदी (Pm Narendra Modi) ने इस पॉलिसी की शुरुआत के साथ ही, इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि विकास की ओर बढ़ते भारत को यह नीति एक नई दिशा देने का काम करेगी.

पूरी दुनिया भारत को एक नए रूप में देख रही है और स्वीकार भी कर रही है. इस नीति के लागू होने से कारोबार जगत को एक बड़ा फायदा देखने को मिलने वाला है. जो आत्मनिर्भर भारत को एक नई उड़ान भरने में मददगार साबित होगा.

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क्या है National Logistics Policy ?

सरल भाषा में बात करें, तो नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी को लाने का मकसद माल ढुलाई की लागत में कमी लाना है. दरअसल, लॉजिस्टिक्स वो प्रॉसेस है, जिसके अंतर्गत माल और सेवाओं को उनके बनने वाली जगह से लेकर, जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां भेजा जाता है.

फैक्ट्री में किसी प्रोडक्ट के तैयार होने के बाद उसे ग्राहक तक पहुंचाने के लिए, एक पूरी प्रॉसेस को फॉलो करना पड़ता है. इस पूरी प्रक्रिया पर आने वाले खर्च को लॉजिस्टिक्स लागत या माल ढुलाई खर्च कहा जाता है. इसी लागत को कम करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय नीति को नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी नाम दिया गया है.

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पॉलिसी लागू होने से होने वाला फायदा

इस नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के लागू होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई रफ्तार मिलेगी. इसके साथ ही सामानों की सप्लाई में पैदा होने वाली दिक्कतों से निजात मिलने के साथ ही माल ढुलाई में होने वाली ईंधन की खपत में भी फायदा होगा. वर्तमान की बात करें, तो भारत लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए ज्यादातर सड़क, उसके बाद जल परिवहन और फिर हवाई मार्ग का इस्तेमाल करता है.

यानी कि भारत अपनी जीडीपी का लगभग 13 से 14 प्रतिशत हिस्सा लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई पर खर्च कर देता है, जबकि कई अन्य विकसित देशों की बात करें, तो उनका सिर्फ 8 से 9 फीसदी ही खर्च होता है. ऐसे में इस नीति के लागू होने के फलस्वरूप भारत में लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को मजबूती मिलने के साथ साथ इसपर व्यय भी कम होगा.

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क्या होता है लॉजिस्टिक यानी माल ढुलाई ? 

भारत देश में कई ऐसे दूर-दराज वाले इलाकें हैं, जहां पर जरूरी चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं और वहां तक उन चीजों को पहुंचाना भी एक बड़ा टास्क होता है. ऐसे में मैन्युफैक्चरिंग प्लेस से अपना सामान जरूरतमंदों तक पहुंचाने के बीच कई तरह की स्टेजेज़ आती हैं और कई तरह के साधनों का इस्तेमाल भी करना पड़ता है. इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम करता है, जो चीजों को तय समय पर तय जगह पर पहुंचाता है. इसे ही माल ढुलाई कहते हैं. वहीं ऐसे में जब कोई सामान विदेश से आ रहा हो और तब कहीं पहुंचाया जा रहा हो, तब यह खर्च कई गुना तक बढ़ जाता है. जो कि विकसित देशों की तुलना में काफी ज्यादा महंगा पड़ जाता है.