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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

National Herald Case in Hindi: नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

  • नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरूआत 1938 में की गई थी
  • 1942 में अंग्रेजों ने नेशनल हेराल्ड अखबार को बैन कर दिया था
  • नेशनल हेराल्ड केस में ईडी सोनिया और राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है 

Written by:Ashis
Published: July 21, 2022 06:48:06 New Delhi, Delhi, India

National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस के चलते एक बार फिर सोनिया
गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मुसीबतें और बढ़
गई हैं. एक बार फिर नेशनल हेराल्ड केस हर तरफ चर्चा का विषय बन गया है. वहीं अगर इसके
चर्चा में आने के कारण की बात करें, तो वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) का
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी
(Rahul Gandhi) को भेजा गया समन है. जिसमें दोनों लोगों को ईडी
के सामने पेश होने को कहा गया है. आपको बता दें कि सोनिया गांधी कोविड से जूझ रही
हैं और अस्पताल में एडमिट हैं. वहीं राहुल गांधी की अगर बात करें, तो इस केस में
राहुल गांधी की पेशी होने पर कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाया है. इसपर कांग्रेस
नेताओं का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को मोदी सरकार परेशान कर रही है,
जिसका
हम लगातार विरोध जताएंगे.

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नेशनल हेराल्ड क्या है ?

नेशनल हेराल्ड केस का कनेक्शन नेशनल हेराल्ड अखबार से है, जो कि आजादी
से पहले का अखबार रहा है. इस अखबार के प्रकाशन की जिम्मेदारी एसोसिएटेड
जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited) नाम की कंपनी के
पास थी. नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरूआत देश के पहले प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल
नेहरू के द्वारा 1938 में की गई थी. इसके साथ ही इस अखबार में 5 हजार स्वतंत्रता
सेनानियों को भी शेयर होल्डर बनाया गया था. यह अखबार आगे चलकर स्वतंत्रता
सेनानियों की बुलंद आवाज बना, जो कि अंग्रेजों को बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा था और
जिसके चलते नतीजा ये हुआ कि 1942 में अंग्रेजों ने नेशनल हेराल्ड अखबार को पूरी
तरह से बैन कर दिया.

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नेशनल हेराल्ड की पुन: वापसी और विवाद
का संबंध

1945 में एक बार फिर से नेशनल हेराल्ड को शुरू
किया गया. लेकिन साल 2008 में जब कांग्रेस की यूपीए सरकार सत्ता में थी, तब कंपनी को घाटे में बताते हुए इस
अखबार का प्रकाशन फिर बंद कर दिया गया. वहीं 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी की
होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई. 2010 में इसकी शुरुआत होने के
साथ ही राहुल गांधी इस कंपनी के डायरेक्टर बने. लेकिन इस मामले में ट्विस्ट सन्
2012 में आया, जब
भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाते हुए निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज
करवाई. जिसमें उन्होंने यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के
अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया और इस धोखाधड़ी के मामले में
कुछ कांग्रेस नेताओं का नाम भी सामने आया.

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नेशनल हेराल्ड केस का सोनिया-राहुल कनेक्शन

वहीं अगर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस
मामले का कनेक्शन देखें, तो यह आरोप निकल कर सामने आया कि गांधी परिवार ने
कांग्रेस पार्टी के फंड का इस्तेमाल करके AJL का अधिग्रहण किया और इस कंपनी की 2000 करोड़ की
सम्पत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शिकायत में लिखा कि
यंग इंडिया ने AJL की
दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, मुंबई और दूसरे शहरों में मौजूद
संपत्तियों पर कब्जा किया. इसको लेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी और
राहुल गांधी पर छल के जरिए सम्पत्ति पर अधिग्रहण करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने
कहा, AJL को दिया गया ऋण
अवैध है, क्योंकि इसे
पार्टी के फंड से दिया गया था.

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