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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

April Fools’ Day: क्यों मनाया जाता है अप्रैल फूल डे? जानें दिलचस्प कहानी

  • 1 अप्रैल को दुनियाभर में अप्रैल फूल्स डे मनाया जाता है.
  • इस दिन लोगों के मन में खुराफात शुरू हो जाती है.
  • ऐसा माना जाता है कि ये दिन 1383 से शुरू हुआ.

Written by:Sneha
Published: April 01, 2022 02:38:31 New Delhi, Delhi, India

अक्सर हम जब किसी को बेवकूफ बनाते हैं यानी किसी के साथ प्रैंक करते हैं तो यही कहते हैं कि अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया….मगर ये अप्रैल फूल इसी महीने से क्यों शुरू हुआ? घर, ऑफिस, स्कूल या गली-मोहल्ले में लोग एक-दूसरे को April Fools’ Day के नाम पर बेवकूफ बनाते हैं और एक-दूसरे से मजे लेते हैं. इस काम में बच्चे क्या बडे़ भी हिस्सा लेते हैं. आपने मुर्ख दिवस से जुड़े कई चुटकुले सुने या पढ़े होंगे लेकिन इस दिन को क्यों और कब से मनाया जाता है इसके बारे में दो कहानियां प्रचलित हैं, जिनके बारे में भी आपको जान लेना चाहिए.

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क्यों मनाया जाता है April Fools’ Day?

पहली कहानी: रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1381 में पहली बार ये दिन मनाया गया जब इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ऐनी ने सगाई का ऐलान 32 मार्च, 1381 में किया. इस खबर को सुनकर लोग बहुत खुश हुए और जश्न मनाना शुरू कर दिए लेकिन बाद में इस बात का एहसास हुआ कि कैलेंडर में तो 32 तारीख आती ही नहीं है इससे सभी बेवकूफ बन गए. उसके बाद से 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की प्रथा शुरू हुई.

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दूसरी कहानी: अप्रैल फूल डे से जुड़ी दूसरी मान्यता कुछ ऐसी है कि फ्रांस में इसकी शुरुआत की बात हुई थी. ऐसा बताया गया कि साल 1582 में चार्ल्स पोप ने पुराने कैलेंडर को बदलकर उसकी जगह नया रोमन कैलेंडर लागू कर दिया था. इसके बाद बहुत लोग परेशान हो गए और पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही चलते रहे और पुराने कैलेंडर की चीजों को ही फॉलो करते थे और उसी के हिसाब से नया साल मनाते हैं और तब से 1 अप्रैल को फूल्स डे मनाया जाने लगा.

भारत में अप्रैल फूल्स डे की शुरुआत?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में ये 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा आया. सोशल मीडिया शुरू होने के बाद से इसका क्रेज ज्यादा देखने को मिला. सोशल मीडिया पर लोग इससे जुड़े मीम्स और चुटकुले फॉरवर्ड करने लगे. हालांकि किसी के साथ मजाक करते समय ये ध्यान रखें कि वो मजाक जानलेवा बिल्कुल ना हो. अप्रैल फूल की आड़ में धर्म, जाति या किसी की बीमारी को लेकर उपहास करना ठीक नहीं होता है.

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