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1 year ago .New Delhi, India

Mrs Chatterjee vs Norway Real Case: इंडियन कपल की रियल लाइफ पर बनी ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’, कहानी सुनकर दिल कांप जाएगा

बॉलीवुड की पॉपुलर एक्ट्रेस रानी मखर्जी. (फोटो साभार: Twitter/@mimansashekhar)

  • बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी जल्द ही 'मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे' के साथ बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं.

  • इस मूवी की कहानी एक मां पर आधारित है जो चाइल्ड सर्विसेज के हाथों अपने बच्चों को खो देती है.

  • फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे' 17 मार्च को रिलीज होगी.


Written by:Kaushik
Published: February 25, 2023 09:59:47 New Delhi, India

Mrs Chatterjee vs Norway Real Case: बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी जल्द ही ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ (Mrs Chatterjee vs Norway) के साथ बड़े पर्दे पर वापसी कर रही हैं. इस मूवी की कहानी एक मां पर आधारित है जो चाइल्ड सर्विसेज के हाथों अपने बच्चों को खो देती है. इसके बाद मां जबरदस्ती छिन गए अपने बच्चों को सरकार के हाथों से वापस लेने के लिए एक बेहद लंबी और इमोशनल लड़ाई लड़ती है. Mrs Chatterjee vs Norway 17 मार्च को आ रही है. ये फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है जो सागरिका भट्टाचार्य के जीवन की एक घटना पर बनी है. उनके जीवन में एक ऐसी घटना हुई जिसे उन्हें कई सालों तक भुगतना पड़ा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार लड़ाई की. तो चलिए हम आपको बताएंगे ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ फिल्म की कहानी क्या है.

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इस असल जिंदगी की कहानी पर है फिल्म

फिल्म ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ मई 2011 में सामने आए दर्दनाक केस पर आधारित है. अनुरूप भट्टाचार्य और सागरिका भट्टाचार्य नाम के कपल अपने दो बच्चों, तीन साल के बेटा अभिज्ञान और एक साल की बेटी ऐश्वर्या के साथ नॉर्वे में शिफ्ट हुआ था. नॉर्वे की चाइल्ड वेल्फेयर सर्विसेज (Child Welfare Services) ने उनपर अपने बच्चों को फॉस्टर केयर में देने का दबाव बनाया था. लेकिन कपल अपने बच्चों तब तक नहीं देख सकता था जब तक उनकी उम्र 18 साल नहीं हो जाती है.

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फैमिली का कहना था कि संस्कृति में ये सब फर्क के कारण हुआ है. सागरिका भट्टाचार्य का बच्चों को अपने हाथों से खाना खिलाना नॉर्वे के चाइल्ड प्रोटेक्शन वालों को जबरदस्ती खिलाना लगा था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बच्चों की कस्टडी की लड़ाई की शुरुआत हुई और देश की सरकार भी इसमें शामिल हुई. लेकिन इसमें कुछ बदलाव होने के कारण सरकार ने इस मामले में दखल देना बंद कर दिया था.

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सागरिका भट्टाचार्य नवंबर 2012 में साइकेट्रिक टेस्ट हुआ और उनको अपने बच्चों को पालने के लिए सही पाया गया. तब जाकर सागरिका को अपने बच्चों को वापस घर लाने की परमिशन मिली थी.

 

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