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1 year ago .New Delhi

RBI Monetary Policy: आम जनता को बड़ी राहत!, EMI के साथ रेपो रेट में भी नहीं होगा कोई बदलाव

आरबीआई ने लोन डिफॉल्टर के लिए सर्कुलर जारी किया है. (फोटोः PTI)

आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक हर दो महीने में होती है. ब्याज दर 6.50 फीसदी पर रहेगी.

Written by:Gautam Kumar
Published: August 10, 2023 12:14:41 New Delhi

RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक ने आम जनता को बड़ी राहत देते हुए गुरुवार 10 अगस्त को रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. आरबीआई ने रेपो रेट नहीं बढ़ाने का ऐलान करते हुए कहा कि ब्याज दर 6.50 फीसदी पर रहेगी. ऐसा लगातार तीसरी बार हुआ है, जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 10 अगस्त 2023 को मॉनेटरी पॉलिसी बैठक के फैसलों की जानकारी दी.

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6 बार में रेपो रेट 2.50% बढ़ा (RBI Monetary Policy)

मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक हर दो महीने में होती है. पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली बैठक अप्रैल 2022 में हुई थी. तब रेपो रेट को 4% पर बरकरार रखा गया था लेकिन उसके बाद 2 और 3 मई को आरबीआई ने आपात बैठक बुलाई और रेपो रेट में 0.40% की बढ़ोतरी कर के  4.40% कर दिया था.. इसके बाद 6 से 8 जून को बैठक हुई और रेपो रेट 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.90 फीसदी कर दिया गया. अगस्त 2022 में एक बार फिर रेपो रेट में बदलाव हुआ और इसे 0.50% बढ़ाकर 5.40% कर दिया गया. सितंबर में यह 5.90% हो गई. फिर दिसंबर 2022 में ब्याज दरें 6.25% तक पहुंच गईं. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी बैठक इसी साल फरवरी में हुई थी, जिसमें आरबीआई ने ब्याज दर 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी थी.

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रेपो रेट में बदलाव नहीं होने से आम जनता को क्या फायदा?

जब महंगाई अधिक होती है, तो रिज़र्व बैंक अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह को कम करने के लिए रेपो दर बढ़ाता है. रेपो रेट बढ़ने से बैंकों को रिजर्व बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाता है. इसके बदले में बैंक अपने ग्राहकों का कर्ज महंगा कर देता है. जिससे अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह कम हो जाता है और मांग कम हो जाती है तथा लागत कम हो जाती है. इसी तरह जब अर्थव्यवस्था बुरे दौर में होती है, जब रिकवरी के लिए पैसे का प्रवाह बढ़ाने की जरूरत होती है. ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम करता है. तब बैंकों को रिजर्व बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को सस्ती दर पर कर्ज मिलने लगता है.

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