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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

इस तारीख को पड़ रहा है जितिया व्रत, जानें कब है नहाय खाय और कब करना है पारण

संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला जितिया का व्रत 18 सितंबर को मनाया जाएगा. व्रत का आरंभ 17 सितंबर से नहाय-खाय से होगा और 19 सितंबर को व्रत का पारण किया जायेगा.

Written by:Hema
Published: September 17, 2022 02:15:02 New Delhi, Delhi, India

Jivitputrika Vrat 2022:  हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat) व्रत का बहुत
महत्व माना जाता है. इस व्रत को संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इस व्रत
को जितिया व्रत (Jitiya Vrat) भी कहा जाता है. संतान की लंबी आयु के
लिए रखा जाने वाला जितिया का व्रत इस बार 18 सितंबर को यानी रविवार को पड़ रहा है.
व्रत की शुरुआत 17 सितंबर शनिवार को नहाय खाय (Nahay Khay 2022) से होगी और 19 सितंबर को इस व्रत का
पारण किया जाएगा.हिंदू पंचांग के अनुसार जितिया व्रतअश्विन मास के कृष्ण पक्ष की
अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है. इस व्रत को महिलाएं
अपनी संतान की दीर्घ आयु के लिए रखती हैं. यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि
यह तीन दिनों तक चलता है. आइए जानते हैं कि जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है और
इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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जाने क्या है शुभ
मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विनी
मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन संतान की लंबी उम्र के लिए जितिया का व्रत रखा
जाता है. लेकिन इस साल लोगों के बीच व्रत की सही तिथि को लेकर काफी कंफ्यूजन है.
पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर शुरू
होगी 18 सितंबर को दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार व्रत 18 सितंबर को रखा
जाएगा और इसका पारण 19 सितंबर को सुबह 6  बजकर 10 मिनट पर होगा.

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किन बातों का
रखें ध्यान

इस व्रत
के पारण के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं. जिन महिलाओं
का व्रत होता है वो जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं.

जितिया
का व्रत रखने से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है. कहते हैं कि नोनी के साग
में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है. जिसके कारण व्रती के शरीर को पोषक
तत्वों की कमी नहीं होती है.

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इस व्रत
में पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है. व्रत पारण के बाद यह तेल
बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाते हैं.

जितिया
व्रत के पूजा की विधि

सुबह
जल्दी उठकर स्नान करें

स्नान
आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं.

धूप, दीप आदि
से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं.

मिट्टी
और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं.

कुशा से
बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें.

विधि-
विधान से पूजा करें और व्रत की कथा अवश्य सुनें.

व्रत
पारण के बाद दान जरूर करें.

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नोटः ये लेख मान्यताओं के आधार पर बनाए गए हैं. ओपोई इस बारे में किसी भी बातों की पुष्टि नहीं करता है.

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