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11 months ago .New Delhi, India

Importance of Yogini Ekadashi: क्या है योगिनी एकादशी का महत्व? जानें व्रत कथा भी

पितृ पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व होता है. (फोटो साभार: Twitter)

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में योगिनी एकादशी का व्रत पड़ता है. यह व्रत तीनों लोकों में अपने पुण्य फल के लिए जाना जाता है. योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है.

Written by:Sneha
Published: June 13, 2023 07:44:18 New Delhi, India

Importance of Yogini Ekadashi: अगर किसी को अपनी मनोकामनाएं भगवान विष्णु (Lord Vidhnu) से पूरी करवानी है तो उनकाी विशेष तिथि एकादशी पर व्रत रखें. एकादशी का व्रत विधिवत करने वालों की मनोकामनाओं को भगवान विष्णु जरूर पूरी करते हैं. भगवान विष्णु को समर्पित सभी एकादशी का अलग-अलग विशेष महत्व होता है. 14 जून को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2023) पड़ने वाली है और उस व्रत का भी अपना खास महत्व है जिसके बारे में भक्त को जरूर जानना चाहिए. योगिनी एकादशी का महत्व क्या है, इसकी पूजा विधि क्या है और व्रत कथा क्या है, ये सभी बातें आज हम आपको बताएंगे.

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क्या है योगिनी एकादशी का महत्व? (Importance of Yogini Ekadashi)

योगिनी एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत तीनों लोगों में किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी व्रत को करने से जीवन में समृद्धि और आनंद प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बरबार पुण्य फल प्राप्त होता है. योगिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. ये व्रत मोक्ष के मार्ग को और भी आसान करता है. ये व्रत सभी पापों का नाश करके आपको धार्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है. योगिनी एकादशी हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि पर पड़ती है. इस साल ये व्रत 14 जून दिन बुधवार को पड़ रहा है.

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योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में अलकापुरी नगर हुआ करता था. वहां के राजा कुबेर के महल में एक हेम नाम का माली रहता था. वह हर दिन भगवान शंकर की पूजा करने के लिए मानसरोवर से फूल लाया करता था. एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने गया जिसके कारण फूल लाने में काफी देर हो गई. दरबार में देरी से फूल पहुंचने के कारण राजा कुबेर क्रोधित हुए. क्रोध में राजा ने माली को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया. राजा के श्राम के कारण लोगों ने उसे घर, राज्य से निकाल दिया और वो इधर-उधर भटकने लगा. भटकते-भटकते एक दिन वो दैवयोहग के मार्कण्डेय ऋषि के पास जा पहुंचा. ऋषि ने अपने योग बल से उसका दुखी होने का कारण पता लगा लिया. ऋषि ने माली को योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा और हेम माली ने ऐसा ही किया. व्रत के प्रभाव से वो कोढ़ मुक्त हो गया और बाद में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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