हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखा जाता है. इस व्रत का पारण द्वादशी के दिन मुहूर्त में किया जाता है. इस साल 06 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा. इसे परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी एकादशी, पद्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, चतुर्मास के दौरान पाताल लोक में क्षीर निंद्रा में वास कर रहे भगवान विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं, इसलिए इसका नाम परिवर्तिनी एकादशी है.

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पद्मा एकादशी व्रत की उत्तम विधि

1. प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें .

2. पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करें

3. श्री हरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें 

4. गणेश जी को मोदक और दूर्वा अर्पित करें .

5. पहले गणेश जी और तब श्री हरि के मन्त्रों का जाप करें . 

6. किसी निर्धन व्यक्ति को जल का, अन्न-वस्त्र का, या जूते छाते का दान करें.

7. अन्न का सेवन न करें, जलाहार या फलाहार ही ग्रहण करें.

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पद्मा एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर होगी. इस एकादशी की समाप्ति 07 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 04 मिनट पर होगी और व्रत का पारण अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 08 .19 – सुबह 08. 33 बजे तक रहेगा.

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पद्मा एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में पद्मा एकादशी का विशेष महत्व है. इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पाठ करना बहुत शुभ बताया गया है. टाइम्स नाउ नवभारत न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, पद्मा एकादशी के दिन व्रत रखने और अगले दिन भोजन से भरा घड़ा ब्राह्मण को दान करें. मान्यता है कि ये उपाय करने से हर मनोकामना पूरी होती है और व्यक्ति को सभी पाप कर्मों से निजात मिलती है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.