इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए मुहर्रम (Muharram 2023) का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन को इस्लामिक कल्चर में मातम का दिन भी कहा जाता है और इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग ताजिए निकालते हैं. मुहर्रम के महीने को गम का महीना कहा जाता है. हालांकि मुस्लिम समुदाय के शिया और सुन्नी समुदाय के लोग अलग-अलग तरीके से मुहर्रम (Muharram 2023) मनाते हैं. आपको बता दें कि इस बार मोहर्रम के महीने की शुरुआत 20 जुलाई से हो रही है. इस महीने की 10वीं तारीख यानी रोज-ए-आशुरा को काफी खास माना जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि मोहर्रम क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास और महत्व क्या है.

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मोहर्रम क्यों मनाया जाता है? (Muharram History)

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ मोहर्रम माह के 10वें दिन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे. उनकी शहादत और कुर्बानी के तौर पर इस दिन को याद किया जाता है. बताया जाता है कि इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह हुआ करता था, जो इंसानियत का दुश्मन था. यजीद, अल्लाह को नहीं मानता था. यजीद चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन भी उनके खेमे में शामिल हो जाएं. हालांकि, इमाम साहब को यह मंजूर न था. उन्होंने बादशाह यजीद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया. इस जंग में वह अपने बेटे, घरवाले और अन्य साथियों के साथ शहीद हो गए थे. बता दें कि 1400 साल पहले कर्बला में जंग हुई थी.

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मोहर्रम का महत्व (Muharram Importance In Hindi)

महोर्रम को इस्लाम धर्म का प्रमुख दिन माना जाता है. कहा जाता है कि मोहर्रम (muharram 2023 date) के महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे. हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के 10वें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं, जिसे आशूरा भी कहा जाता है. आपको बता दें कि आशूरा के दिन ताजियादारी की जाती है. इमाम हुसैन की इराक में दरगाह है, जिसकी हुबहू नकल कर ताजिया बनाई जाती है. शिया उलेमा के मुताबिक, मोहर्रम का चांद निकलने की पहली तारीख को ताजिया रखी जाती है. इस दिन लोग इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया और जुलूस निकालते हैं. हालांकि ताजिया निकालने की परंपरा सिर्फ शिया समुदाय में ही होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)