Matra Navami: सनातन धर्म में पितरों को याद करने के लिए पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. पितृ पक्ष यानी श्राद्ध सिर्फ पितरों के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी किया जाता है. पितृ पक्ष में कुछ तिथियां विशिष्ट लोगों के लिए निर्धारित की गई हैं. इन तिथियों में नवमी पर पड़ने वाले श्राद्ध को मातृ नवमी कहा जाता है. इस दिन मृत माताओं के नाम पर पिंडदान किया जाता है. जिनकी मृत्यु एक विवाहित महिला के रूप में हुई. इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृत महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है.

हिंदू कैलेंडर और पंचांग के अनुसार, मातृ नवमी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानि 7 अक्टूबर 2023 को शनिवार को है. अगर किसी महिला की शादी के दौरान किसी भी तिथि पर मृत्यु हो जाती है, तो भी मातृ नवमी के दिन उसकी पूजा की जाती है. इस दिन हर दिन की तरह तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है, केवल इसे श्रद्धापूर्वक मां को समर्पित किया जाता है. इस दिन मां, दादी, परदादी और उनसे ऊपर वाली मां को याद करके ये सभी काम किए जाते हैं.

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मातृ नवमी पर कैसे करें तर्पण और पिंडदान (Matra Navami)

तर्पण करने के लिए साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, फिर जलाशयों के पास जाना चाहिए या घर के आंगन या छत पर बैठकर जल, कुशा, अक्षत, तिल आदि से पितरों को तर्पण करना चाहिए. हाथ. तर्पण तब किया जाता है जब आप अपनी मां को अपने पूर्वजों से मिलाते हैं. इसके बाद चावल की पिंडी बनाकर अपनी मां को याद करें और नदी या जलाशय के किनारे आचार्य के मार्गदर्शन में पिंडदान विधि से उनकी पूजा करें.

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ऐसे करें श्राद्ध कर्म

घर पर ही श्राद्ध कर्म करें, जिसमें आप खीर, पूड़ी, सब्जी, खट्टा-मीठा या जो भी आपको पसंद हो, बना सकते हैं. फिर उस भोजन में से 4 भाग निकाल लें. जिसे कौए, गाय, हंस (कुत्ते), आगंतुक या मेहमान को दिया जाता है. अग्नि में 7 आहुतियां (3 घी + 3 चीनी + 1 धूप) चढ़ाएं. दक्षिण दिशा में सरसों का तेल डालकर मिट्टी का दीपक जलाएं और उसमें काले तिल डालें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)