Masik Durga Ashtami 2023 Date and Tiime: हिंदू धर्म में मासिक दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व है. मां दुर्गा को समर्पित दुर्गा अष्टमी का व्रत प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भक्त मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे प्रार्थना करते है. इस बार मासिक दुर्गाष्टमी 29 जनवरी 2023 रविवार के दिन है. मान्यता है कि अगर मां दुर्गा प्रसन्न हो जाए तो वे अपने भक्तों को सफलता, सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्रदान करती है. मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस लेख में हम आपको बताएंगे दुर्गा अष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

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दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami 2023 Shubh Muhurat)

माघ, शुक्ल अष्टमी
प्रारम्भ – जनवरी 28, सुबह 08 बजकर 43 मिनट से शुरू
समाप्त – जनवरी 29, सुबह 09 बजकर 05मिनट पर खत्म

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दुर्गाष्टमी पूजा विधि (Durga Ashtami  Puja Vidhi)

दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़क कर शुद्धि कर लें. अब घर के मंदिर में दीप जलाएं और मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें. फिर इसके बाद सिंदूर, अक्षत लाल फूल अर्पित करें और फल और मिठाई चढ़ाएं. अब दीये और धूप को जलाएं और मां दुर्गा की पूजा और आरती करें.

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दुर्गा अष्टमी आरती (Masik Durgashtam Aarti)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी.
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को.
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै.
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी.
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती.
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती.
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी.
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ.
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता.
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी.
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती..

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै.
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.