Makar Sankranti 2023 Katha: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) 15 जनवरी को मनाई जाएगी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फसलों के आगमन और नए मौसम के लिए मनाया जाता है. सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. हिंदू (Hindu) धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर राक्षसों का वध किया और उनके सिर काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिए. तभी से भगवान विष्णु की इस विजय को मकर संक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा. आइए जानते हैं मकर संक्रांति की कथा.

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मकर संक्रांति की कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं. इसलिए कहा जाता है कि सूर्य देव मकर में प्रवेश करते हैं और अपने पुत्र से मिलने जाते हैं.

राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया और अपने घोड़े को विश्व-विजय के लिए छोड़ दिया. इंद्र देव ने उस घोड़े को छल से कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया. जब राजासागर के साठ हजार पुत्र युद्ध के लिए कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे और उन्हें गाली दी, तब कपिल मुनि ने उन सभी को शाप देकर भस्म कर दिया. राजा सगर के पौत्र राजकुमार अंशुमान ने कपिल मुनि के आश्रम में जाकर उनसे निवेदन किया और अपने भाइयों के उद्धार का मार्ग पूछा. तब कपिल मुनि ने बताया कि इनकी मुक्ति के लिए गंगा जी को पृथ्वी पर लाना होगा.

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राजकुमार अंशुमान ने प्रतिज्ञा की कि जब तक गंगा जी को पृथ्वी पर नहीं लाया जाएगा, तब तक उनके वंश के किसी भी राजा को शांति नहीं मिलेगी. उनकी प्रतिज्ञा सुनकर कपिल मुनि ने उन्हें आशीर्वाद दिया. राजकुमार अंशुमन ने घोर तपस्या की और उसमें अपने प्राणों की आहुति दे दी. भगीरथ राजा दिलीप के पुत्र और अंशुमान के पौत्र थे.

राजा भागीरथ ने घोर तपस्या करके गंगा जी को प्रसन्न किया और उन्हें पृथ्वी पर लाने के लिए राजी किया. उसके बाद भागीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की कि महादेव गंगा जी को अपने बालों में धारण करें और गंगा का जल धीरे-धीरे वहां से पृथ्वी पर प्रवाहित करें. भगीरथ की कठिन तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए और उन्हें मनचाहा वरदान दिया. इसके बाद गंगा जी महादेव के केशों में समाहित होकर पृथ्वी पर प्रवाहित हो गईं. गंगा द्वारा निर्देशित, भागीरथ कपिल मुनि के आश्रम में गए, जहाँ उनके पूर्वजों की राख मोक्ष की प्रतीक्षा कर रही थी.

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भागीरथ के पूर्वजों का गंगा जी के पवित्र जल से उद्धार हुआ था. उसके बाद गंगा जी समुद्र में मिल गईं. जिस दिन गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम पहुंचीं, उस दिन मकर संक्रांति का दिन था.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.