Karwa Chauth 2022: हिंदू (Hindu) धर्म में करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. हर सुहागिन महिला के लिए करवा चौथ का दिन बहुत खास होता है. प्रत्येक वर्ष करवा चौथ का व्रत कार्त्तिक कृष्ण चतुर्थी को किया जाता है. इस व्रत (Karwa Chauth Kab Hain) को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य के लिए करती हैं. इस बार करवा चौथ का व्रत 24 अक्तूबर को है. कई ऐसी महिलाएं होंगी जो पहली बार व्रत (Karwa Chauth Vrat) कर रही होंगी. करवा चौथ व्रत में कुछ बातों का जरूरी बातों ध्यान रखा जाता है.

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व्रती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान-

-हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्यों के समय काले रंग की चीजें पहनने की मनाही होती है. यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मंगलसूत्र के काले दाने के अतिरिक्त इस व्रत के दिन किसी काले रंग का इस्तेमाल न करें.

-हिन्दू मान्यता के अनुसार, सुहागिन महिलाओं को सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. सफेद रंग शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है. लेकिन पति के लिए करने वाले करवा चौथ व्रत में सफेद रंग की मनाही होती है.

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-सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ के दिन भूरा रंग पहनने से बचना चाहिए. हिन्दू मान्यता के अनुसार, यह रंग केतु और राहु का प्रतिनिधित्व करता है.

इन रंगों के वस्त्र धारण करना माना जाता है शुभ-

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि करवा चौथ के दिन सुहागिनों को हरा, पीला,गुलाबी, महरून और गुलाबी रंग के कपड़े धारण करने चाहिए. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, जो सुहागिन महिलाएं जो पहली बार करवा चौथ व्रत रखने वाली हैं. उनके लिए लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं यदि शादी का जोड़ा पहनती हैं. तो इसे और उत्तम माना जाता है.

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करवा चौथ पूजा- विधि

-करवा चौथ व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.

-इसके बाद मंदिर की साफ- सफाई कर ज्योत जलाएं.

-देवी और देवताओं की पूजा करें.

-अब सुहागिन महिला निर्जला व्रत का संकल्प लें.

-इस व्रत के दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है.

-व्रती भगवान गणेश जी की पूजा करें.

-भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें.

-इस व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है.

-चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें.

-इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.