बकरीद को ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) के नाम से भी जानते हैं. बकरीद का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के अंतिम महीने जु-अल-हिज्ज में मनाया जाता है. बता दें कि इस वर्ष बकरीद भारत में 10 जुलाई, रविवार को मनाए जाने की संभावना है. बकरीद को रमजान खत्म होने के करीब 70 दिनों के बाद मनाया जाता है. बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. ईद-उल-अजहा की तारीख चांद के दिखने पर निर्धारित होता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि साल 2022 में बकरीद का पर्व कब मनाया जाएगा और बकरीद का इस्लाम में क्या महत्व है.

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बकरीद (ईद-उल-अजहा) 2022 की तारीख

इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरी का पर्व जु-अल-हिज्ज महीने के 10वें दिन मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष बकरीद 10 जुलाई, रविवार को मनाए जाने की संभावना है. बकरीद का पर्व चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है.

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कैसे मनाया जाता है बकरीद

एनडीटीवी इंडिया न्यूज़ के अनुसार, बकरीद के दिन लोग अपने घरों में पहले से पाले हुए बकरे की कुर्बानी देते हैं. यदि किसी के घर बकरा नहीं होता. तो वह बकरीद से कुछ दिन पहले बकरा खरीदकर घर ले आते हैं. इस दिन बकरे की कुर्बानी देने के बाद मीट को तीन हिस्सों में बांट दिया जाता है. इसका पहला हिस्सा फकीरों को दिया जाता है और दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों को दिया जाता है. वही, तीसरा हिस्सा घर में पकाकर खाया जाता है.

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बकरीद का महत्व

बकरीद मनाने के पीछे हजरत इब्राहिम के जीवन से जुड़ी हुई घटना की चर्चा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि हजरत इब्राहिम खुदा के नेक इंसान थे. वे खुदा पर पूरा भरोसा रखते थे, जब एक बार हजरत इब्राहिम ने सपना देखा वे अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं.

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तो हजरत इब्राहिम ने सपने को खुदा का संदेश माना. फिर इसके बाद उन्होंने खुदा की इच्छा को मानकर खुदा के मार्ग पर कुर्बानी देने का निंर्णय लिया. परन्तु उस समय उन्होंने हजरत इब्राहिम को अपने बेटे की जगह किसी एक जानवर की कुर्बानी देने का सन्देश दिया. उस समय से ही ईद-उल-अजहा के दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा शुरु हुई. इसको बाद में बकरीद के नाम से जाना जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.