ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने सियासी उथल-पुथल के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. ऐसा बताया जा रहा है कि उन्होंने ये फैसला कंजर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) में लगातार बढ़ रहे विरोध और साथी मंत्रियों के इस्तीफे के बाद लिया है. अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 2 दिनों में ही उनके मंत्रिमंडल से 40 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया. इतना ही नहीं बोरिस जॉनसन के करीबी नेताओं ने भी उन्हें पद छोड़ने का संदेश पहुंचा दिया था. इसके बाद गुरुवार 7 जुलाई 2022 को बोरिस जॉनसन ने पीएम पद छोड़ने पर सहमति जता दी.

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अब आपके मन में ये सवाल उत्पन्न हो रहा होगा कि आखिर क्या वजह थी जिसने बोरिस जॉनसन को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया. चलिए आपको उन वजहों के बारे में बताते हैं.

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किन-किन विवादों में घिरे बोरिस जॉनसन?

बोरिस जॉनसन लगभग 3 साल से सत्ता में थे. दिसंबर 2019 में जबरदस्त जीत के बाद उन्होंने इस पद के लिए दावा मजबूत किया था. हालांकि उनका ये पूरा कार्यकाल उनकी खुद की पार्टी के लिए ही स्कैंडल और आलोचनाओं से भरा रहा. हालांकि प्रमुख तौर पर दो ऐसे स्कैंडल रहे जिन्होंने बोरिस जॉनसन की पारी को खत्म कर दिया.

1. पार्टीगेट स्कैंडल

ब्रिटेन में कोरोना महामारी का दौर सबसे कठिन समय रहा था. इस दौरान वहां की सरकार ने लॉकडाउन समेत कई कड़े प्रतिबंध लगाए थे. इसके चलते लोगों को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. हालांकि इसी मुश्किल समय में एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें कहा गया कि जब हर जगह लॉकडाउन लगा हुआ था तो उस दौरान जॉनसन सरकार के कुछ मंत्री और अधिकारी शराब पार्टियां कर रहे थे. वह भी किसी आम कलब या चोरी-छिपे नहीं बल्कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के डाउनिंग स्ट्रीट स्थित आवास पर.

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आरोप लगने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इन सभी को नकारा और कहा कि उनके या उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से लॉकडाउन के किसी नियम को नहीं तोड़ा गया. हालांकि इसी साल 25 मई को सिविल सर्वेंट स्यू ग्रे की जांच कमेटी ने एक रिपोर्ट दायर की. उससे ये साफ हो गया कि कोरोना के दौरान ब्रिटिश सरकार के मंत्री नियमों को ताक पर रख पार्टियां कर रहे थे. इस रिपोर्ट में मई 2020 से लेकर अप्रैल 2021 के बीच की 16 पार्टियों की फोटो और जानकारियां थी. साथ ही ये भी कहा गया था कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन खुद इनमें से कम से कम 6 अवैध पार्टियों में शामिल थे.

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली और संसद को बताया कि वह इन गलतियों के लिए खुद जिम्मेदार हैं. इस मामले में 29 जून को संसद ने आदेश दिया कि वह एक जांच समिति से ये पता लगवाएगी कि क्या जॉनसन ने पहले इन आरोपों पर झूठ बोला था?

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2. पार्टी में घटता समर्थन

बोरिस जॉनसन पर एक आरोप ये भी लगा कि कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों के बीच ही उनकी लोकप्रियता काफी कम हो रही थी. पार्टीगेट स्कैंडल के बाद ही जब कंजर्वेटिव पार्टी में जॉनसन को प्रधानमंत्री पद से हटाने की बात चली तो उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. ब्रिटेन के नियमों के तहत वहां पार्टी भी प्रधानमंत्री को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. जब इस प्रस्ताव पर पार्टी सांसदों ने वोट किए तो पता चला कि 359 सांसदों में से 211 जॉनसन के समर्थन में थे. वहीं, 148 उन्हें पीएम पद से हटाना चाहते थे.

अविश्वास प्रस्ताव नाकाम हो जाने से बोरिस जॉनसन ने अपना पद तो बचा लिया, लेकिन ये तय हो गया था कि पार्टी के 10 में से 4 सांसद उनके खिलाफ हैं. इसके अलावा पार्टी में एक और स्कैंडल ऐसा हुआ जिसने बोरिस जॉनसन की छवि पर बुरी तरह चोट की. ये स्कैंडल जॉनसन के करीबी नेता क्रिस्टोफर पिंचर से जुड़ा हुआ था.

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इन सब चीजों के चलते मंगलवार शाम को जॉनसन के विरोध में वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने इस्तीफा दे दिया था. फिर अगले दिन बुधवार तक जॉनसन के विरोध में 40 मंत्री और अफसर इस्तीफा दे चुके थे.