बारिश का मौसम पेड़ पौधों के लिए काफी अच्छा
माना जाता है. लेकिन यह जितना अच्छा होता है उतनी ही इसमें पौधों की केयर (Plants Care) करने की
आवश्यकता होती है. तभी हमें इनमे लगने वाले फूलों और फलों में अच्छी ग्रोथ देखने को
मिलती है. बरसात की मौसम में पौधों को जरूरत भर पानी, उपयुक्त मौसम और इसके साथ
सही मात्रा में खाद (Fertilizer) का मिलाना बहुत जरूरी है. अक्सर बारिश के मौसम में पानी के साथ
ही मिट्टी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स (Plants Nutrients) कम हो जाते हैं. जिसके कारण फूल लगते तो हैं लेकिन
फल (Fruits) बनने से पहले ही झड़ जाते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपके पौधों में लगने वाले
फूलों और फलों में अच्छी ग्रोथ हो तो उसके लिए न्यूट्रिएंट्स की आपूर्ति करना
जरूरी है.

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इस समस्या के चलते पौधों में फल नहीं आ
पाते

बरसात के मौसम में कई बार इतनी तेज बारिश हो
जाती है कि मिट्टी में मौजूद पौधों के लिए जरूरी तत्व भी बह जाते हैं. जिसके चलते
पौधे आंतरिक रूप से कमजोर होने लगते हैं और उनमें आने वाले फूल तत्वों की कमी के
कारण अच्छे से ग्रोथ नहीं कर पाते हैं और फल बनने से पहले ही टूटकर गिर जाते हैं.
तो इस तरह की गलती के कारण ही हमारे पौधे में फल नहीं आ पाते हैं. इसलिए फल लाने
के लिए हमें बरसात के मौसम में हमें बहुत सारी चीजों का ध्यान(Plants Care In Monsoon) भी रखना चाहिए.

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फर्टिलाइजर और केयर पौधे के लिए साबित होंगे
वरदान

बरसात के मौसम में पौधों की अच्छी ग्रोथ(Good Growth Of Plants) रखने
के लिए, हमें उनके लिए अच्छे फर्टिलाइजर की व्यवस्था करनी चाहिए और इस मौसम में
सबसे अच्छे फर्टिलाइजर की बात की जाए, तो वह है वर्मी कम्पोस्ट और गोबर की खाद(Khaad) का
मिक्सचर . अगर हम अपने पौधों में इस मिक्सचर का इस्तेमाल करना शुरू कर दें और मौसम
को देखते हुए थोड़ी केयर(Plants Care In Rainy Season) कर लें, तो हमारे पौधे फलों से लद जाएंगे और पोषक तत्वों
के चलते ग्रोथ अच्छी होने से फल भी हेल्दी होंगे.

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ऐसे करें फर्टिलाइजर का प्रयोग

फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते समय आपको पहले
अच्छे से उस जगह पर साफ सफाई कर लेनी है. खर पतवार जैसी चीजें हटा देनी हैं. फिर
उस मिट्टी की अच्छे से गुड़ाई करें. ऐसे करने के बाद वर्मीकम्पोस्ट और गोबर की खाद
को अच्छे से मिला लेना है. अब उसको अच्छे से फैला दें और थोड़ा पानी डाल लें ताकि
तत्व नीचे जड़ तक आसानी से पहुंच जाएं. इतना करने के दौरान याद रखें कि ज़ड़ों को
कोई नुकसान न होने पाए. इसके बाद आपको समय समय पर देखते रहना होगा और जरूरत महसूस
होने पर यह प्रक्रिया फिर से दोहरानी होगी. आपको पहले की तुलना में काफी अच्छे
रिजल्ट्स मिलने लगेंगे.

नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए संबंधित विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें.