राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि मतदान के अधिकार के लिए दुनिया भर में लोगों ने बहुत संघर्ष किया है और ऐसे में इस अधिकार का हमेशा सम्मान करते रहना चाहिए. उन्होंने 11वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में कहा कि अमेरिका में भी लोगों को मतदान का अधिकार हासिल करने के लिए दशकों तक संघर्ष करना पड़ा तथा ब्रिटेन में लंबी लड़ाई के बाद महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला.

कोविंद ने कहा, ‘‘ हमारे देश में भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1935 के द्वारा चुनिंदा लोगों को ही मतदान का अधिकार दिया गया था. लेकिन स्वतंत्र भारत के हमारे संविधान में आरंभ से ही 21 वर्ष या अधिक आयु के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान किया. बाद में इस आयु को घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सभी को याद दिलाना चाहूंगा कि हम सभी को मतदान के बहुमूल्य अधिकार का सदैव सम्मान करना चाहिए. मतदान का अधिकार कोई साधारण अधिकार नहीं है. दुनिया भर में मतदान के अधिकार के लिए लोगों ने बहुत संघर्ष किया है.’’

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘योग्यता, धर्म, नस्ल, जाति के आधार पर कोई भेदभाव न करते हुए हर पुरुष या महिला, अमीर या ग़रीब को मतदान का अधिकार है और हर व्यक्ति के मत का महत्व भी समान रखा गया है. इसके लिए हम सब अपने संविधान-निर्माताओं के ऋणी हैं.’’

कोविंद ने कहा कि संविधान निर्माता बी आर आंबेडकर ने मतदान के अधिकार को सर्वोच्च माना था. उनके मुताबिक, स्वतंत्रता-प्राप्त करने के लगभग 75 वर्षों के भीतर ही भारत लोकतंत्र के एक विश्वव्यापी आदर्श के पोषक के रूप में उभरा है. इस उपलब्धि में निर्वाचन आयोग के शीर्षस्थ अधिकारी से लेकर देश के छोटे से छोटे गांव में बसे साधारण नागरिकों का अमूल्य योगदान है.

राष्ट्रपति ने हालिया चुनावों को संपन्न कराने के लिए भी निर्वाचन आयोग की सराहना करते हुए कहा, ‘‘पिछले वर्ष कोविड महामारी के दौरान बिहार विधान-सभा, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में सफल एवं सुरक्षित चुनावों का सम्पन्न होना हमारे लोकतंत्र की असाधारण उपलब्धि है.’’