हिंदू धर्म में भगवान शंकर को महादेव कहते हैं और उनकी विशेष पूजा के लिए दो पर्व बहुत बड़े होते हैं. हालांकि ये दोनों ही हर महीने पड़ते हैं लेकिन कुछ प्रदोष (Pradosh Vrat 2022) और शिवरात्रि व्रत ऐसे होते हैं जिनके अलग ही महत्व होते हैं. महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के ठीक एक दिन पहले सोम प्रदोष व्रत है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत और चतुर्दसी तिथि को महाशिवरात्रि मनाया जाता है.

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भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग ये व्रत रखते हैं और उनकी पूजा पूरे विधि विधान के साथ करते हैं. 28 फरवरी को प्रदोष व्रत और 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा.

महादेव की पूजा में इन बातों का ख्याल रखें

प्रदोष व्रत के दिन महादेव के भक्त उनकी पूजा पूरे विधान के साथ करते हैं जिससे महादेव प्रसन्न हो सकें. हालांकि कई बार भूलवश पूजा होने के कारण वे रुष्ट भी हो सकते हैं इसलिए पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. तो चलिए बताते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन क्या करना चाहिए.

1. प्रदोष व्रत रखने वालों को शिव पूजा में कभी भी तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए और ना ही उनके भोग में तुलसी दल यानी तुलसी का पत्ता शामिल करना चाहिए.

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2. भगवान शिव को बिल्कुल भी केतकी का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह श्रापित माना जाता है.

3. भगवान शिव को सिंदूर या हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये श्रृंगार और सुहाग की सामग्री होती है और महादेव को ये सब चढ़ाना वर्जित माना गया है.

4. महादेव को नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए ऐसा इसलिए क्योंकि नारियल का संबंध माता लक्ष्मी से होता है और वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं. इसके अलावा प्रदोष व्रत रखना वालों को अन्न, नमक, लाल मिर्च का सेवन भी नहीं करना चाहिए.

5. शंख के जल से कभी शिव जी का अभिषेक नहीं करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महादेव ने शंखचूड़ नाम के राक्षस का वध किया था.

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