नदियों में सिक्के डालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. भारतीय परंपरा में नदी में सिक्के फेंकना आम बात है. अधिकतर धार्मिक स्थलों पर कई पूजाओं में भी फल-फूल के साथ सिक्के भी चढ़ाएं जाते है. भारत एक दुनिया का एक एकमात्र ऐसा देश है. जहां भगवान ने मानव के रुप में जन्म लिया. इसी वजह से इस देश की भूमि की महत्ता अपने-आप बढ़ जाती है. अपने अक्सर देखा होगा कि बस या फिर ट्रेन में यात्रा के दौरान लोग नदी में सिक्के डालते है और यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है.आज के समय में भी लोग इस परंपरा को निभा रहे है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर लोग ऐसे क्यों करते है. तो हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि नदी में सिक्के डालने का क्या कारण है?

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देश में अधिकतर लोग सिक्के को नदी में फेंकते हैं. कई लोग इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं. लेकिन इस परंपरा के पीछे एक वजह छिपी हुई है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि जिस समय नदी में सिक्का फेकने की परंपरा शुरू हुई थी. उस समय तांबे के सिक्के प्रचलन में थे.

तांबा पानी का प्यूरीफिकेशन (purification) करने में काम आता है. इसी वजह से नदी या किसी तालाब के पास से निकलते थे. तो उसमे उसमें तांबे का सिक्का दाल दिया करते थे. परन्तु आज के समय में तांबे के सिक्के प्रचलन में नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी लोग आज भी इस परंपरा को निभा रहे है.

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ज्योतिष के अनुसार ये है कि वजह

ज्योतिष में इस बात का जिक्र किया गया है. लोगों को अगर किसी प्रकार का दोष दूर करना हो तो उसके लिए वो जल में सिक्के और कुछ पूजा की सामग्री को प्रवाहित करें. इसको करने से बहुत सारे दोष नष्ट हो जायेंगे. इसके साथ ही ज्योतिष में ये भी कहा गया है कि जल में चांदी में सिक्के सालने से धन का लाभ और मनोकामनाओं की सिद्धि भी होती हैऔर नदी में सिक्के डालने की परंपरा को एक तरह का दान भी कहा गया है.

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