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चीन-ताइवान विवाद क्या है? आसान भाषा में समझिए

  • 73 सालों से चीन और ताइवान के बीच चल रहा है विवाद 
  • चीन और ताइवान के बीच 100 मील का फासला है
  • वन चाइना पॉलिसी को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने बनाया था

Written by:Ashis
Published: August 04, 2022 04:16:26 New Delhi, Delhi, India

अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy
Pelosi) की ताइवान (Taiwan) यात्रा के बाद से चीन (China) की बौखलाहट साफ नजर आ रही है. जिसके चलते चीन
ने ताइवान की सीमा के नजदीक युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है. इसमें चीन ने अपने कई
अत्याधुनिक जे-20 जैसे विमानों को भी शामिल किया है. डीएनए हिन्दी की एक
खबर की मानें, तो चीन के 21 लड़ाकू विमान ( Fighter Planes) ताइवान की सीमा में प्रवेश भी कर चुके
हैं. आपको बता दें कि चीन ने पहले ही ताइवान के मामले में दखलअंदाजी देने को लेकर
अमेरिका को सचेत किया था. वहीं नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने ताइवान
और अमेरिका (United States) को
इसका अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली है. अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर इस विवाद
के खड़े होने के पीछे कारण क्या है. तो चलिए बताते हैं.

यह भी पढ़ें: कौन हैं नैन्सी पेलोसी?

चीन-ताइवान विवाद क्या है?

दरअसल, चीन वन चीन पॉलिसी के रास्ते पर चल
रहा है. जिसके तहत वह ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है. वहीं ताइवान की बात
करें तो वह स्वयं को संप्रभु राष्ट्र मानता है. दोनों देशों के बीच इसी बात को
लेकर 73 सालों से विवाद चल रहा है. आपको बता दें कि इन दोनों देशों के बीच सिर्फ
100 मील फासला है. ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से काफी करीब है. ऐसे में एक
नहीं कई बार दोनों देशों के बीच टकराव की खबरें आती रही हैं. ताइवान की समुद्री
सीमा में भी चीन लगातार घुसपैठ करता रहता है. कहीं न कहीं चीन नहीं चाहता है कि
कोई अन्य देश उनके इस मसले में दखल दे.

चीन-ताइवान का इतिहास

न्यूज नेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सन् 1895
के वक्त जापान एक बहुत शक्तिशाली राष्ट्र था. उस समय चीन में चिंग राजवंश का शासन
था. यह शासन बहुत ही कमजोर था, जिसका
फायदा उठाते हुए जापान ने चीन पर हमला करते हुए, उसके एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर
लिया. जिसको बाद में कोरिया और ताइवान के रूप में पहचान मिली. इस युद्ध को प्रथम
चीन-जापान युद्ध के नाम से जाना जाता है. 1945 में जब अमेरिका ने जापान के दो
शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया, तो यह सुपर पॉवर देश बिखर गया और
कोरिया और ताइवान उसके अधिकार से बाहर आ गए. जिसके बाद ताइवान ने अपने आप को एक
स्वतंत्र देश घोषित कर लिया. चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का
हिस्सा बताती है. जिसके चलते चीन ताइवान को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है.

यह भी पढ़ें: Population पर UN की रिपोर्ट डराती है, 2023 में भारत चीन को पीछे छोड़ देगा

आखिर क्या है चीन की वन चीन पॉलिसी

चीन की वन चाइना पॉलिसी (One China Policy) की अगर बात
करें, तो इस पॉलिसी को 1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के द्वारा बनाया गया था. जिसके तहत ताइवान
के साथ साथ और भी कई अन्य जगहों को भी चीन का हिस्सा बता दिया गया और तो और उन
अन्य जगहों को चीन ने अपना हिस्सा मानते हुए, उनके लिए पॉलिसी भी बना दी.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चीन लगातार इन हिस्सों पर अपनी जबरदस्त दावेदारी जताता
रहा. इस पॉलिसी के तहत मेनलैंड चीन (Mainland China) और
हांगकांग-मकाऊ (Hongkong-Macau)
जैसे दो विशेष रूप से प्रशासित क्षेत्र को भी शामिल किया गया.

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