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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

जींस में क्यों होती है छोटी पॉकेट? लड़कों से जुड़ा हुआ है इसका राज

आपके मन में भी कभी ना कभी ये सवाल तो जरूर आया होगा कि आखिर जींस में ये छोटी पाॅकेट क्यों दी जाती है. जानिए इसके पीछे की वजह.

Written by:Vishal
Published: April 13, 2022 07:53:30 New Delhi, Delhi, India

फैशन (Fashion) हमेशा समय के साथ-साथ बदलता रहता है. पहले के जमाने में जहां लोगों को चौड़ी मोहरी वाले बेल बॉटम पसंद थे. वहीं, आज के समय में लोग पतली मोहरी वाले पेंट पहनना पसंद करते हैं. पहले चौड़ी और बड़ी काॅलर वाली शर्ट फैशन में थीं, तो आज वे शर्ट आउट ऑफ फैशन हैं.

अगर फैशन (Fashion) से कोई चीज आउट ऑफ फैशन नहीं हुई तो वो है जींस. हालांकि समय के साथ जींस की डिजाइन, लुक, मटेरियल में बदलाव देखने को मिले. जींस हर इंसान की पहली पसंद होता है. दोस्तों के साथ घूमने जाना हो या फिर कॉलेज जाना हो सबसे पहले इस आउटफिट का नाम आता है वो है जींस.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें साधारण सा दिखने वाली जींस का इतिहास बहुत इंटरेस्टिंग है. क्या आपने कभी सोचा है कि जींस में छोटी पॉकेट क्यों दी जाती है? शायद आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा. तो चलिए आपको जींस के इतिहास के साथ-साथ जींस से जुड़े कुछ सवालों के जवाब भी देते हैं.

जींस के इतिहास के बारे में जानें

बता दें कि जींस का पुराना नाम Waist overalls है. रिपोर्ट के अनुसार, जींस का आविष्कार लातविया के जैकब डेविस ने किया था. वे 1800 के दशक के आखिरी में सोना ढूंढने के लिए अमेरिका गए थे. उन्हें वहां सोना तो नहीं मिला परंतु उन्होंने कुछ नया करने का सोचा. उन्होंने सोने की खान के तंबू बनाने में प्रयोग होने वाले मोटे कपड़े से पैंट बनाने का विचार किया. ये मोटा कपड़ा बहुत मजबूत और हल्का था. ये कपड़ा पहली बार जेनेओ में बनाया गया था इसलिए उसे जीन कहा जाता था. जैकब ने पहली बार जर्मनी के 23 वर्षीय एक अप्रवासी लेवी स्ट्रॉस से कपड़ा खरीदा था और उसेसे जींस बनाई.

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डेविस ने जब ये पैंट बनाई तो समय के साथ-साथ उसे पॉपुलैरिटी मिलने लगी. इसके कुछ समय बाद डेविस और स्ट्रॉस सेना में शामिल हो गए और लेवी स्ट्रॉस एंड कंपनी बनाई. इसके बाद 20 मई 1873 को दोनों ने अपने नीली जींस को पेटेंट कराया. जींस के आविष्कार के लगभग 70 साल बाद जिसमें तब नयापन जब अमेरिका के युवाओं ने उसे पहनना शुरू किया. धीरे-धीरे जींस हर वॉर्डरोब का हिस्सा बन गया.

फिर जींस के डिजाइन में भी बदलाव शुरू हुए. जैसे स्ट्रॉस ने और मजबूती के लिए जींस में नारंगी सिलाई भी शुरू की और उस जींस को लेवी के रूप में पहचाना गया. इसके बाद 1922 में बेल्ट लूप दिखाई दिए. 1954 में जिप्पर स्टाइल बदल गई लेकिन जब 1890 में स्ट्रॉस और डेविस का जींस पेटेंट समाप्त हो गया तो अन्य कंपनियां मार्केट में आईं. OshKosh B’Gosh ने 1895 में जींस मार्केट में कदम रखा. 1904 में ब्लू व्हेल, 1911 में ली मर्केंटाइल ने जींस बनाने की शुरुआत की.

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जींस में छोटी पॉकेट लगाने का कारण

जींस की छोटी पॉकेट को वास्तव में वॉच पॉकेट कहा जाता है क्योंकि ये मूल रूप से पुरुषों के लिए अपनी पॉकेट में घड़ियों को रखने के लिए बनाई गई थी. लेवी स्ट्रॉस ब्लॉग के अनुसार, मूलरूप से नीली जींस की एक जोड़ी पर पहले केवल 4 पॉकेट थे जिसमें एक पॉकेट पीछे, दो सामने और 1 वॉच पॉकेट. समय के साथ-साथ इस पॉकेट को कई नामों से जाना गया जैसे फ्रंटियर पॉकेट, कॉइन पॉकेट, मैच पॉकेट, टिकट पॉकेट आदि.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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