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मन चाहा वर पाने के लिए करें ये व्रत, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रंभा तृतीया का व्रत विवाहित महिलाएं सुहाग की लंबी आयु और बुद्धिमान संतान के लिए रखती है. वहीं इस व्रत को कुंवारी कन्याएं मन चाहा वर के लिए करती है.

Written by:Kaushik
Published: May 28, 2022 10:03:56

Rambha Tritiya 2022 Date, Puja Vidhi:  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रंभा तृतीया के रुप में मनाया जाता है. इस साल 02 जून 2022 के दिन रंभा तृतीया का उत्सव मनाया जाएगा. रंभा तृतीया के दिन कुवांरी कन्याएं मन चाहा वर पाने के लिए व्रत रखती है.

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आपको जानकारी के लिए बता दें कि रंभा तृतीया को रंभा तीज के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू मान्यता के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान अप्सरा रंभा भी समुद्र से उत्पन्न हुई थी. ऐसे में इस दिन देवी रंभा की पूजा की जाती है. महिलाओं द्वारा सौभाग्य एवं सुख की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत भी किया जाता है. सुहागिन महिलाएं बुद्धिमान संतान की प्राप्ति, उनके अच्छे भविष्य के लिए और अपने पति की लंबी आयु के लिए रंभा तृतीया का व्रत करती है. मान्यता ऐसी है कि इस व्रत को रखने से महिलाओं का सुहाग बना रहता है और कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है.

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तृतीया तिथि का आरंभ: 1 जून बुधवार की रात में 09 बजकर 47 मिनट से

तृतीया तिथि समापन: 3 जून, शुक्रवार की रात 12 बजकर 17 मिनट पर

एबीपी न्यूज के लेख के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि रंभा तृतीया का व्रत रखा जाता है. इस बार यह व्रत गुरुवार को यानि 2 जून को रखा जाएगा. इस व्रत के दिन रवि योग, विडाल योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है.

रम्भा तृतीया पूजन महत्व

इस दिन विवाहित महिलाएं अनाज, फूल, गेहूं के साथ चूड़ियों के जोड़े की भी पूजा करती हैं. अविवाहित कन्याएं अपनी पसंद के वर की कामना की पूर्ति के लिए रंभा तृतीया का व्रत रखती है. रंभा तृतीया के दिन पूजा उपासना करने से काया निरोगी रहती है और यौवन बना रहता है.

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रंभा तीज पूजा विधि

रंभा तृतीया व्रत में अप्सरा रंभा की पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं प्रातःकाल उठकर स्नान करके व्रत एवं पूजा करने का संकल्प लें. पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में मुंह करके साफ आसन पर बैठें. माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें.

पहले आप भगवान गणेश और भगवान शिव की पूजा करें. पूजन के दौरान ॐ महाकाल्यै नम:, ॐ महालक्ष्म्यै नम:, ॐ महासरस्वत्यै नम: आदि मंत्रों का जाप करें. पूजा में घी के पांच दीपक जलाएं. अब भगवान शिव पर गुलाल, चंदन फूल समेत अन्य चीजें एवं माता पार्वती पर मेहंदी, हल्दी, चंदन, फूल समेत सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं. यह व्रत जिस घर में किया जाता है. वहां सुंदरता, सुख-समृद्धि, शांतपति को लंबी उम्र और मनोकामना पूर्ण होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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