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अपनी सेहत से न करें खिलवाड़! इन 5 तरीकों से आपके शरीर को खोखला बना रहा है मैदा, आज ही छोड़ें

लंबे समय तक बेहतर स्वास्थ्य के लिए आपको मैदा और उससे बने खाद्य पदार्थों के सेवन से पूरी तरह बचना चाहिए. इसके बजाय, आप गेहूं के आटे, बाजरा जैसे कुछ स्वस्थ विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं, मल्टी-ग्रेन की रोटी और गेहूं के आटे से बने नूडल्स या पास्ता का विकल्प चुन सकते हैं.

Written by:Akashdeep
Published: December 17, 2021 01:59:16 New Delhi, Delhi, India

हम सभी ने सुना होगा कि मैदा (White Flour) और उससे बनने वाली चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं. हालांकि, हमारे दैनिक जीवन में मैदे और उससे बनी चीजों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. हम इसका सेवन ब्रेड, पिज्जा, बर्गर, पास्ता, डोनट्स, मोमोज के रूप में करते हैं. ये खाद्य पदार्थ आकर्षक हैं लेकिन ये स्वस्थ नहीं हैं और वजन भी बढ़ाते हैं. मैदा हमारे आहार का हिस्सा बनता जा रहा है और यह हमारे स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करता है. यह समझना बहुत जरूरी है कि सफेद आटा हमारे स्वास्थ्य के लिए क्यों खराब है और इसे कम मात्रा में क्यों खाना चाहिए. 

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गेहूं से मैदा बनने के दौरान, गेहूं के चोकर सहित गेहूं के रोगाणु से एंडो स्पर्म नामक पदार्थ हट जाता है, जो पाचन के लिए बहुत जरूरी है. इसके अलावा, इस दौरान सभी आवश्यक पोषक तत्व भी खो जाते हैं. जिसके चलते आपका शरीर विटामिन, खनिज और डाइट फाइबर से वंचित रह जाता है. 

इन 5 कारणों के चलते नहीं खाना चाहिए मैदा 

1. एसिडिटी बढ़ाता है 

आटे को रिफाइन करने के दौरान, सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और मैदा एसिडिक बन जाता है. मैदे से बने फास्ट फूड के व्यंजन शरीर को हड्डियों से कैल्शियम खींचने के लिए मजबूर करते हैं जो बदले में हड्डियों के घनत्व को प्रभावित करता है. इसी के चलते शरीर में गठिया जैसी समस्या पैदा होती है. 

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2. पाचन संबंधी समस्याएं

मैदे आंतों में चिपक जाता है. आज कल मैदे से बहुत सारे व्यंजन बनते हैं और इनका सेवन करने पर ये आंतों से चिपक सकते हैं. इसमें फाइबर नहीं होता है, यह सिस्टम को कंजस्ट करता है, पाचन को धीमा कर देता है जो एक सुस्त मेटाबॉलिज्म बनाता है, और अक्सर वजन बढ़ने, तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन और कब्ज पैदा करने का कारण बनता है. 

3. पोषक तत्वों की कमी

मैदा रिफाइन होकर बनता है इसलिए इसमें से भीतरी रोगाणु परत और बाहरी चोकर हट दिए जाते हैं. इस प्रक्रिया में, अधिकांश फाइबर और आवश्यक पोषक तत्व जैसे विटामिन और खनिज और फाइटोकेमिकल्स ख़त्म जाते हैं. इसके अलावा, ब्लीचिंग प्रक्रिया रसायनों का उपयोग करके की जाती है जो मैदे को उसका सफेद रंग देता है. हालांकि ये आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हो सकते हैं, फिर भी ये आर्टिफीसियल तत्व हैं जिन्हें आपके आहार में शामिल नहीं होना चाहिए.

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4. एल-सिस्टीन (L-cysteine)

यह एक गैर-आवश्यक अमीनो एसिड है जो बेक किए गए सामान जैसे पिज्जा आटा, कुकीज़ और फास्ट फूड बन्स में जोड़ा जाता है. एल-सिस्टीन की सस्ती उत्पादन विधि में इसे बतख या चिकन के पंख, मानव बाल और अन्य पेट्रोलियम उपोत्पादों से बनाया जाता है. 

5. मधुमेह (Diabetes) पैदा करने वाला घटक

मैदा में एलोक्सन होता है जो आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. यह अग्न्याशय (pancreas) की बीटा कोशिकाओं को नष्ट करता है और शरीर के लिए विषैला भी होता है. यह मधुमेह का कारण बन सकता है.

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मैदा की जगह आप गेहूं के आटे, बाजरा जैसे कुछ स्वस्थ विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं, मल्टी-ग्रेन की रोटी और गेहूं के आटे से बने नूडल्स या पास्ता का विकल्प चुन सकते हैं.

डिस्क्लेमर: ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह लें.

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