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Kolkata Highcourt Shivling Case: शिवलिंग हटाने का आदेश लिखते वक्त बेहोश हुए असिस्टेंट रजिस्ट्रार, जज ने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से किया इंकार

कोलकाता हाइकोर्ट शिवलिंग केस.(फोटो साभार:Freepik)

कलकत्ता हाई कोर्ट में आदेश लिखते समय रजिस्ट्रार बेहोश हो गया जमीनी विवाद का फैसला दर्ज करते समय रजिस्ट्रार बेहोश हो गया जज साहब ने जमीन से शिवलिंग हटाने का आदेश दिया था

Written by:Ashis
Published: August 09, 2023 11:00:00 kolkata

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta Highcourt Shivling Case) से एक अजीबों गरीब घटना निकलकर सामने आई है. जिसने कोर्ट में मौजूद हर श्रोता और दर्शक को अचरज में डाल दिया. दरअसल, रोजाना की तरह कोर्ट में कार्यवाही चल रही थी, जहां भूमि विवाद से जुड़े मामले में दोनों पक्षों के वकील अपने मुवक्किलों की तरफ से दलीलें पेश कर रहे थे. जिसके बाद जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने दोनों वकील की जिरह सुनने के बाद विवादित जमीन पर स्थापित शिवलिंग को हटाने का आदेश दिया. हालांकि इसके बाद जो हुआ उसने कोर्ट (Kolkata Highcourt Shivling Case) में मौजूद हर इंसान को अचरज में डाल दिया. तो चलिए आपको बताते हैं पूरा मामला.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस सेनगुप्ता ने दोनों पक्षों के वकील की बात सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए शिवलिंग को हटाने का आदेश दिया, लेकिन इसी बीच फैसला दर्ज करते समय अदालत के सहायक रजिस्ट्रार अचानक बेहोश हो गए. उनकी यह हालत देखकर जज समेत कोर्ट (Kolkata Highcourt Shivling Case) में मौजूद हर कोई हैरान रह गया और उसके बाद जज साहब ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और याचिकाकर्ताओं को निचली अदालत में जाना चाहिए.

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क्या था विवाद?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के खिदिरपुर के गोविंद मंडल और सुदीप पाल के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर काफी समय से विवाद चला आ रहा है. पिछले साल मई में यह मामला तब गरमा गया, जब दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा पर उतर आए थे. आरोप है कि इस झड़प के बाद गोविंद मंडल ने उस जमीन पर चुपके से रातोंरात एक शिवलिंग रख दिया. सुदीप पाल ने इस बाबत नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन दिवानी मामला होने के चलते पुलिस ने भी इस पर कोई खास कार्रवाई नहीं की. ऐसे में सुदीप पाल ने कलकत्ता हाईकोर्ट में दस्तक दी. अदालती कार्यवाही के दौरान सुदीप पाल के वकील ने दलील दी कि गोविंद मंडल ने अवैध रूप से विवादित भूमि पर शिवलिंग रखा था, और पुलिस की ओर से कार्रवाई न किए जाने के कारण मामले में अदालत के दखल की जरूरत आई.

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