13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने निर्दोषों का मरवाया था.

  • जलियांवाला बाग में भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा थी.

  • ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर गोलियां चलाई थीं.

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    13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने निर्दोषों का मरवाया था.

  • जलियांवाला बाग में भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा थी.

  • ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर गोलियां चलाई थीं.

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    13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने निर्दोषों का मरवाया था.

  • जलियांवाला बाग में भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा थी.

  • ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर गोलियां चलाई थीं.

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    1 year ago .New Delhi, India

    Jallianwala Bagh History: जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहां हुआ? जानें पूरा इतिहास

    जलिया वाला बाग का पूरा इतिहास. (फोटो साभार: Twitter@visrane)

    • 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने निर्दोषों का मरवाया था.

    • जलियांवाला बाग में भीड़ शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा थी.

    • ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर गोलियां चलाई थीं.


    Written by:Sneha
    Published: April 11, 2023 11:59:55 New Delhi, India

    Jallianwala Bagh History: भारत के इतिहास में ऐसी कई घटनाएं हुईं जो आज भी लोगों को सोच में डाल देती हैं. लोग सोचने लगते हैं कि आखिर क्यों हुआ और कैसे लोग हुआ करते थे. उन्हीं घटनाओं में से एक है जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) था जो आज भी याद करते हुए लोगों की आंखें नम हो जाती हैं. जलायांवाला बाग में एक सभा हो रही थी जहां शांतिपूर्ण तरीके से लोगों ने हिस्सा लिया था लेकिन ब्रिटिश सरकार ने सभी निर्दोषों पर गोलियां चलवां दी और वहां सैकड़ों लोगों की लाश बिछ गई थी. चलिए आपको उस दिन की घटना का पूरा इतिहास बताते हैं.

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    जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहां हुआ? (Jallianwala Bagh History)

    साल 1919 का समय था जब भारत पर पूर्ण रूप से ब्रिटिश शासन था. भारत के क्रांतिकारियों की हलचल तेज हो चुकी थी. उनकी गतिविधियों पर रोक लगाने के सरकार हर प्रयत्न करती थी लेकिन असफल रहती थी. इस बात से ब्रिटिश सरकरा बहुत क्रोधित थी. उन्हें लगता था कि कुछ लोगों को बंदी बनाकर या मारकर पूरे देश के क्रांतिकारियों पर लगाम कसी जा सकती है. उन दिनों जगह जगह सभाएं हुआ करती थीं. वैशाखी का दिन था और अमृतसर के पास जलियांवाला बाग में एक मेला लगा जहां क्रांतिकारियों की सभा भी चल रही थी. उस पार्क में सैकड़ों लोग मौजूद थे.

    13 अप्रैल 1919 का दिन था, बैसाखी के कारण भीड़ ज्यादा थी. लोग अपनी-अपनी धुन में मग्न थे और एक ओर पंजाब के लोग अपने प्रिय नेता की गिरफ्तारी पर सभाएं कर रहे थे. उसी दौरान जनरल डायर ने पंजाब में फौजी शासन लागू कर आतंक का राज्य स्थापित किया. डायर ने वहां जनता पर गोलियां चलवा दीं और वहां मौजूद बच्चे, बूढ़े, औरतें, पुरुष जो सिर्फ बैसाखी के मेले में आए थे सभी निर्दोषों की मौत हो गई. सैकड़ों की तादात में लाशें बिछीं थीं. जहां कुछ देर पहले गाने, ढोल-ताशे बज रहे थे. लोग खुशी में अपने माता-पिता और परिवार के साथ मस्ती कर रहे थे वहां इस हत्याकांड के बाद शमशान बन गया.

    भारत के इतिहास में ये सबसे दर्दनाक हत्याकांड माना जाता है. उस दिन को लोग बहुत ही बुरे दिन के तौर पर याद करते हैं. इस बात का असर सरदार उधम सिंंह पर पड़ा था और उन्होंने लंदन जाकर जनरल डायर को इसका ऊधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन में जनरल डायर की हत्या करके जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था. उधम सिंह ने खुद की गिरफ्तारी करा ली और उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने जनरल डायर को क्यों मारा. ऐसे जांबाज क्रांतिकारी सरकार उधम सिंह को देश आज भी नमन करता है.

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