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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट जहां संस्कृत में होता है अनाउंसमेंट, देखें VIDEO

  • अब एयरपोर्ट पर हिंदी और अंग्रेजी के साथ संस्कृत में भी होगा अनाउंसमेंट  
  • वाराणसी एयरपोर्ट अथॉरिटी और BHU की पहल
  • ट्विटर पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है लोग  

Written by:Muskan
Published: June 22, 2022 11:06:28 New Delhi, Delhi, India

भारतीय विमानतल प्राधिकरण (Airports Authority of India) ने वाराणसी एयरपोर्ट पर हिन्दी-अंग्रेजी के साथ-साथ संस्कृत में भी अनाउंसमेंट की शुरुआत की है. यानी कि वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट (Lal Bahadur Shastri International Airport) पर अब यात्री हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ संस्कृत में भी घोषणाएं सुनेंगे. इस अनूठी पहल की शुरुआत एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने साथ मिलकर की है.

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वाराणसी एयरपोर्ट प्रबंधन ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए लिखा , ‘हमारे सम्मानित यात्रियों को विमानतल पर आते ही महसूस हो जाएगा कि, वे काशी- संस्कृत भाषा के पीठ स्थान में प्रवेश कर चुके हैं.’ वाराणसी एयरपोर्ट निदेशक आर्यमा सान्याल ने कहा – ‘वाराणसी प्राचीन काल से संस्कृत का केंद्र रहा है. हमारे पवित्र धर्मग्रंथों में लिखी इस भाषा को सम्मान देने के लिए ये पहल की गई है.’

काशी की पहचान एक धार्मिक और आध्यात्मिक नगर के साथ-साथ संस्कृत भाषा से भी है. काशी को संस्कृत भाषा का पीठ स्थान कहा जाता है. इसके साथ ही संभवतया वाराणसी देश का पहला एयरपोर्ट बन गया है, जहां हिन्दी-अंग्रेजी से साथ संस्कृत भाषा में भी कोविड प्रोटोकॉल अनाउंसमेंट हो रहा है.

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वाराणसी के एयरपोर्ट अथोरिटी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसका वीडियो साझा किया है. इसे सामने आने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘यह सुखद है कि संस्कृत में वाराणसी हवाई अड्डे पर घोषणा की जा रही है. संस्कृत को आम भाषा बनाने का यह एक अच्छा प्रयास है. वाराणसी रेलवे स्टेशन पर भी ऐसा होना चाहिए.’ वही एक अन्य यूजर इसके विरोध में लिखते है कि, ‘घोषणाएं यात्रियों के लिए की जाती हैं. संस्कृत को बड़ी संख्या में लोग नहीं समझ पाते! इसे भोजपुरी में क्यों नहीं करते?

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कई लोग एयरपोर्ट अथॉरिटी की इस पहल का स्वागत कर रहे है जबकि इसकी आलोचना करने वाले लोग भी मौजूद है, कहा जा रहा है कि यह कदम संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ नहीं करेगा.

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