महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के सामने केवल सरकार बचाने की नहीं बल्कि पार्टी बचाने की चुनौती सामने आ रही है. शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं, जो कथित रूप से 40 का दावा किया जा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो दलबदल कानून का खतरना नहीं होगा और महाराष्ट्र में सरकार के साथ शिवसेना की बागडोर भी उद्धव ठाकरे के हाथ से निकल सकती है.

यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र: एकनाथ शिंदे का दावा- असम में 46 विधायक, इसमें से 6-7 निर्दलीय

एकनाथ शिंदे ने जो ताजा ट्वीट किया है, उसमें कुछ ऐसे संकेत दिख रहे हैं कि अब वह शिवसेना को अपने अंदर करने के लिए तैयार है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि, भारत गोगावाले को शिवसेना विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है. इसलिए आज शाम विधायक दल की बैठक के संबंध में सुनील प्रभु द्वारा जारी आदेश अवैध है.’

यह भी पढ़ेंः ‘महाराष्ट्र विधानसभा भंग हो सकती है’, सियासी संकट के बीच संजय राउत का बयान

इस ट्वीट से साफ है कि शिंदे असली शिवसेना खुद को बता रहे हैं. 34 शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं.

आपको बता दें, दलबदल कानून के मुताबिक, अगर किसी पार्टी के कुल विधायकों में से दो-तिहाई के कम विधायक बगावत करते हैं तो उन्हें अयोग्य करार दिया जा सकता है. ऐसे में दलबदल कानून से बचने के लिए बागी गुट को कम से कम 37 विधायकों की जरूरत होगी क्योंकि, शिवसेना के पास विधानसभा में 55 विधाक हैं.

यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र सियासी संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोविड पॉजिटिव हुए

हालांकि,  सांसदों/विधायकों के समूह को दल-बदल की सजा के दायरे में आए बिना दूसरे दल में शामिल होने (विलय) की इजाजत है. इसके लिए किसी पार्टी के दो तिहाई विधायक या सांसद दूसरी पार्टी के साथ जाना चाहते हैं तो उनकी सदस्यता खत्म नहीं होगी. कुछ ऐसी स्थिति महाराष्ट्र में बनते दिख रही है. शिंदे जो दावा कर रहे हैं उसमें दो तिहाई विधायक उनके साथ हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे के हाथ से सरकार ही नहीं पार्टी भी हाथ से निकलती नजर आ रही है.