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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Hindi Diwas Speech 2022: हिंदी दिवस के अवसर पर दें ये शानदार भाषण, हर तरफ होगी आपकी तारीफ

  • हर साल 14 सितंबर के दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है
  • 14 सितंबर 1953 से हिंदी दिवस को मनाने की शुरूआत की गयी थी
  • राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा कहा था

Written by:Ashis
Published: September 13, 2022 01:18:58 New Delhi, Delhi, India

भारत देश में हर वर्ष 14 सितंबर की तारीख को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रत्येक भारतवासी के लिए यह बहुत ही गर्व का दिन है. आज के समय में हिंदी भाषा को देश में ही नहीं विदेशों में भी बड़ी ही सम्मान भरी नजरों से देखा जाता है. इसके साथ ही कई देशों में लोग हिंदी बोलते भी हैं. हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है. हिंदी दिवस के दिन स्कूलों, कोचिंगों और सरकारी कार्यलयों में कई तरह के प्रोग्राम्स का आयोजन किया जाता है. ऐसे में हम यहां एक स्पीच उदाहरण के तौर पर दे रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप कार्यक्रम में अपनी स्पीच में कर के उसे और भी खास बना सकते हैं.

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आदरणीय ……..

आज का दिन हमारे लिए बड़े ही गर्व का दिन है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि हर वर्ष 14 सितंबर के दिन देश में हिंदी दिवस ( Hindi Diwas ) मनाया जाता है. आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था. इसके बाद हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कहने पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इस दिवस को पहली बार 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था.

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प्रत्येक भारतीय के लिए हिंदी दिवस का विशेष महत्व है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत विविधता का देश हैं. यहां पर कदम-कदम पर रहन-सहन, खान-पान और बोली सब कुछ बदल जाता है. लेकिन एक चीज है, जो हम सभी को भारत के किसी कोने पर जाने पर भी हमें आपस में जोड़े रखती है. वो है हमारी मातृभाषा ‘हिंदी’. देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है. राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी भाषा को जनमानस की भाषा कहा था. आज के समय में लोग अंग्रेजी भाषा के पीछे भाग रहे हैं, उन्हें अंग्रेजी भाषा का ज्ञान लेना चाहिए. लेकिन उसके साथ ही अपनी मातृभाषा का महत्व जरूर समझना चाहिए.

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मित्रों/साथियों, आजादी के 75 साल बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का सपना मात्र एक सपना ही है और हिंदी भाषा देश की राजभाषा ही बन पाई है. आज पूरे देश में हर राज्य में हिंदी बोलने समझने वाले लोग रहते हैं और मतलब भर की हिन्दी सभी जानते हैं. इसलिए हमें इस बात को भलीभांति याद रखना चाहिए कि हमारी मातृभाषा की जगह कोई भी नहीं ले सकता है. हमारी मातृभाषा सर्वोपरि थी, है और हमेशा रहेगी. हमें इसके उत्थान के लिए हमेशा प्रयासरत रहना है.

अब मैं अपनी वाणी को विराम देने के साथ दो पंक्तियां कहना चाहूंगा –

जब तक रहेगी शरीर में जान.

हिंदी भाषा का करेंगे सम्मान..

जय हिन्द, जय भारत

धन्यवाद.

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