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कोरोना संकट के बीज RBI की बढ़ी घोषणा, जानें कैसे मिलेगा आपको फायदा

रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी संकट के बीच MSME से वसूल नहीं हो पा रहे कर्जों के पुनर्गठन की छूट देने के लिए बुधवार को कई नए कदमों की घोषणा की.

Written by:Sandip
Published: May 05, 2021 08:13:52 New Delhi, Delhi, India

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोरोना महामारी संकट के बीच कही अहम घोषणाएं की हैं. महामारी से त्रस्त व्यक्तियों तथा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME) से वसूल नहीं हो पा रहे कर्जों के पुनर्गठन की छूट देने सहित अ​र्थव्यवस्था को इस संकट में संभालने के लिए बुधवार को कई नए कदमों की घोषणा की.

इसके तहत कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज में काम आने वाली वस्तुओं और बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इनके कारोबार में लगी इकाइयों को बैंकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के कर्ज की एक नयी सुविधा भी शामिल है.

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RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 50 हजार रुपये के वित्त पोषण की यह सुविधा 31 मार्च 2022 तक खुली रहेगी. इसके तहत बैंक वैक्सीन विनिर्माताओं, वैक्सीन और चिकित्सा उपकरणों के आयातकों और आपूर्तिकर्ताओं, चित्सालयों, डिस्पेंसरी, आक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं और वेंटिलेटर आयातकों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराएंगे.

बैंक मरीजों को भी उपकरण आदि के आयात के लिए प्राथमिकता के आधार पर कर्ज दे सकेंगे.

उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा इस तरह के कर्ज को ‘प्राथमिकता क्षेत्र के लिए ऋण की श्रेणी’ में रखकर ‘शीघ्रता के कर्ज सुलभ करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है.’

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उन्होंने बताया कि ऋण पुनर्गठन संबंधी घोषणा के तहत कुल 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज वाली इकाइयों के बकायों के पुनर्गठन पर विचार किया जा सकेगा. यह सुविधा उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को मिलेगी, जिन्होंने पहले किसी पुनर्गठन योजना का लाभ नहीं लिया है. इसमें छह अगस्त 2020 को घोषित पहली समाधान व्यवस्था भी शामिल है.

इस नयी समाधान-व्यवस्था 2.0 का लाभ उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को दिया जा सकेगा, जिनके कर्ज खाते 31 मार्च 2021 तक अच्छे थे.

कर्ज समाधान की इस नयी व्यवस्था के तहत बैंकों को 30 सितंबर तक आवेदन दिया जा सकेगा. इसके 90 दिन के अंदर इस योजना को लागू करना होगा.

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रिजर्व बैंक ने लघु-ऋण बैंकों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के विशेष दीर्घकालिक रेपो परिचालन की घोषणा भी की.

दास ने कहा इसके तहत एमएसएमई इकाईयों को 10 लाख रुपये तक की सहायता को प्राथमिकता क्षेत्र के लिए कर्ज माना जाएगा.

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उन्होंने राज्य सरकारों के लिए ओवर-ड्राफ्ट के नियमों में कुछ ढ़ील दिए जाने की घोषणा भी की. इससे सरकारों को अपनी नकदी के प्रावह और बाजार कर्ज की र​णनीति को संभालने में सुविधा होगी.

इस ढील के बाद राज्य एक तिमाही में 50 दिन तक ओवर-ड्राफ्ट पर रह सकते है. पहले ओवर-ड्राफ्ट की स्थिति अधिकतम 36 दिन ही हो सकती थी.

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